MP NEWS24- कुछ सप्ताह पहले जब निजी अस्पतालों में डेंगू के मामले या मरीजों में प्लेटलेट्स कम होने के मामले सामने आ रहे थे तब मलेरिया विभाग, स्वास्थ्य विभाग और नगर पालिका ने इसे गंभीरता से नहीं लिया था। हमेशा की तरह मलेरिया विभाग लार्वा सर्वे, दवा छिडकाव और नगर पालिका का अमला फॉगिंग मशीन से दवा छिडकाव का दावा करता रहा, लेकिन दावों से इतर विभागों ने कभी सूचना जारी नहीं की कि कब-कब कहॉ-कहॉं कार्रवाई की गई है और आगामी कार्रवाई का कैलेंडर या शेड्यूल भी जारी नहीं किया गया। जिसका परिणाम यह हुआ कि शहर के नागरिक आज वायरल फीवर, मलेरिया एवं डेंगू जैसी बिमारियों से ग्रसित होकर जुझ रहे है। शहर में बिमारियों का आलम यह है कि इससे पहले इतनी बडी संख्या में मौसमी बिमारियॉं कभी पहले नहीं देखी गई। स्थिति कितनी गंभीर है इसका पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि शहर के नामचिन निजी अस्पतालों में पांव रखने की जगह नहीं है तथा सुबह 7 बजे से ही मरीज एवं उनके परिजन चिकित्सालयों में लाईन लगाकर चिकित्सकों को दिखाने के लिए खडे हुए है। इन सब परिस्थितियों के बाद भी न तो स्थानिय प्रशासन जागा है और ना ही स्वास्थ्य विभाग का अमला। जिसके चलते क्षेत्र के नागरिकों में प्रशासन के प्रति गंभीर आक्रोश भी अब देखा जाने लगा है।अस्पतालों में मरीजों की भरमार, अधिकारी वीसी में ही व्यस्त
शहर के शासकीय एवं निजी अस्पतालों ममें मरीजों की भरमार हो गई है और व्यवस्थाओं पर सवाल खडे हो रहे हैं, तब मलेरिया विभाग ने डेंगू निरोधक कार्रवाई निरंतर करने की सूचना जारी की है। बीमएओ डॉ. कमल सोलंकी द्वारा प्रतिदिन शहर के विभिन्न मोहल्लों में मलेरिया, डेंगू के मच्छरों की रोकथाम हेतु प्रतिदिन वार्डवार सर्वे करवा रहे हैं। लेकिन वास्तविकता में इन बिमारियों को रोकने के लिए संयुक्त प्रशासनिक पहल की आवश्यकता है। नगर पालिका को जहॉं शेडयूल बनाकर युद्धस्तर पर नगर में कीटनाशकों के छिडकाव एवं फॉगिंग की आवश्यकता है वहीं स्थानिय प्रशासन को भी इन विभागों पर कडी नजर रखने के साथ ही स्वास्थ्य विभाग को हर प्रकार की परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार रखना होगा।
डेंगू की जांच सुविधा ही शहर में उपलब्ध नहीं
इसे विडम्बना ही कहा जाऐगा कि शहर में मौसीम बिमारियों ने अपनी जडे जमा ली है वहीं स्थानिय स्वास्थ्य विभाग के पास डेंगू जैसी बिमारी की जांच करने की ही व्यवस्था नहीं है। आलम यह है कि शासकीय अस्पताल में सेंपल लेकर उसे उज्जैन भेजा जाता है। बताया जाता है चिकित्सालय की लैब टेक्निशियन का भी स्थानांतरण यहॉं से अन्यंत्र कर दिया गया है, जबकि उनकी पोस्टींग नागदा की है तथा वर्तमान में एक वर्ष के प्रोविजनल पिरियड में भी है, लेकिन सत्ता एवं विपक्ष में बैठे जनप्रतिनिधियों को जनता की कोई सुध नहीं है। सिविल हॉस्पिटल की लैब में वर्तमान में खून तक की जांच नहीं हो पा रही है उसे भी सेंपल लेकर उज्जैन स्थित निजी लैब में भेजा जा रहा है। ऐसे में शहर की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का तो भगवान ही मालिक दिखाई दे रहा है।
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