MP NEWS24- हिन्दी, साहित्य, कला, शिल्प और परम्परा से लेकर विज्ञान, शिक्षा और दर्शन तक की यात्रा सुलभ बनाने में महती भूमिका निभाती है। हिन्दी वर्तमान में वैश्विक परिदृश्य में अपनी अनूठी पहचान बना चुकी है। जनभाषा के वैश्विक प्रसार में संस्थानो और व्यक्तियों की प्रभारी भूमिका अपना कार्य कर रही है। यह उद्गार 21वीं सदी में हिन्दी का योगदान संगोष्ठी में हिन्दी प्रचार सेवा समिति व लायंस क्लब नागदा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित समारोह में आदित्य विद्या मंदिर बालाजी परिसर के विशाल रंगमंच स्थल पर नगर सीएसपी मनोज रत्नाकर ने अपने उद्बोधन में कहे। संगोष्ठी का श्रीगणेश गायत्री मंत्र के साथ ध्वजारोहण से हुआ। ध्वज वंदना सुंदरलाल उपाध्याय कोकिल ने की। सरस्वती वंदना संस्कृत व्याख्याता रश्मि वैद्य ने की। अतिथि परिचय व हिन्दी वंदना की प्रस्तुति डॉ. पं. लक्ष्मीनारायण सत्यार्थी ने दी। स्वागत भाषण समाजसेवी गोविन्द मोहता ने दिया।संगोष्ठी में विचार रखते हुए अभिभाषक रमेश चन्देल ने कहा कि हिन्दी भाषा ही देश की अखंडता, समृद्धता को शब्द रूपी मोतियो में पिरोकर आकर्षक ढंग से व्यक्त करने में सहायक है। राजेश धाकड़ ने कहा कि नई शिक्षा नीति का पदार्पण ही हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाएगी। एक राष्ट्र एक भाषा और एक शिक्षा नीति लाने का सार्थक प्रयास सरकार कर रही है। संगोष्ठी में सीएसपी रत्नाकर का नागरिक अभिनंदन किया गया। अभिनंदन पत्र का वाचन आर.सी. विश्वकर्मा ने किया। अध्यक्षीय उद्बोधन में लॉयन कमलेश जायसवाल ने शिक्षण संस्थाओं में जाकर पुलिस द्वारा विद्यार्थियों को कानुनी जानकारी व अपराधो पर नियंत्रण तथा तेज वाहन चलाने से होने वाली क्षति की जानकारी दे, युवा पीढ़ी को संवारने व लड़कियों को आत्मरक्षा करने प्रेरित करने संबंधी कार्य हो जिस पर रत्नाकर जी ने स्वीकृति प्रदान कर शीघ्र ही कार्य करने का आश्वासन दिया। अतिथियों का स्वागत कैलाशचन्द्र खनार, सुन्दरलाल उपाध्याय, नरेन्द्र सूयल, निरज सोनी, विश्वजीत जायसवाल, राजेश उमठ, जितेन्द्र अग्रवाल, आसिफ सर, राजेश सैनी, दिनेश मीणा, मालवीय सर किया। हनुमानसिंह शेखावत द्वारा स्मृति चिन्ह व कलम भेंट की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सत्यार्थी ने किया।
Post a Comment