MP NEWS24- नागदा का पशु चिकित्सालय इन दिनों चिकित्सकों की भारी कमी से जुझ रहा है। उज्जैन के बाद जिले का दुसरा बडा शहर होने के बाद भी यहॉं स्थायी पशु चिकित्स की व्यवस्था करने में प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है। प्रशासनिक व्यवस्थाओं का आलम यह है कि यहॉं विगत डेढ वर्षो से महिला पशु चिकित्सक पदस्थ हैं लेकिन वह विगत 2-4 दिनों से ही नागदा में दिखाई दी है, इससे पूर्व वह उज्जैन में रहकर ही नागदा से अपना वेतन प्राप्त करती रही। ऐसे में शहर में पशु मालिकाओं एवं दुर्घटनाओं का शिकार होने वाले गोवंश के उपचार में भारी दिक्कतों का सामना करना पड रहा है। मामले में वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराऐ जाने के बाद भी व्यवस्थाओं में कोई सुधार दिखाई नहीं दे रहा है। ऐसे में पशु चिकित्सक के अभाव में शहर एवं आसपास के सैकडों गांवों के ग्रामीणों को पशुओं के उपचार एवं दुर्घटना आदि में घायल होने वाले पशुओं के उपचार के लिए भटकना पड रहा है।क्या है मामला
मामले में प्राप्त जानकारी के अनुसार नागदा में वर्तमान में विगत डेढ वर्षो से पशु चिकित्सक के पद पर महिला चिकित्सक डॉ. अपेक्षा जेकब पदस्थ हैं। लेकिन लम्बे समय से उन्हें नागदा के पशु चिकित्सालय में सेवाऐं देते हुए नहीं देखा गया। डॉ. जेकब का वेतन तो नागदा से आहरित हो रहा है लेकिन वह अपनी सेवाऐं उज्जैन के चिकित्सालय में प्रदान कर रही है। वहीं पूर्व में नागदा में पदस्थ रहे डॉ. प्रदीप शर्मा जो कि वर्तमान में आलोट जागीर में पदस्थ है उन्हें तीन दिन नागदा में सेवाऐं प्रदान करने के निर्देश वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दिए गए है। लाभ-शुभ के फेरे में उलझे पशु चिकित्सा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा नागदा के पशु चिकित्सालय की और कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिसका परिणाम है कि विगत डेढ वर्षो से नागदा में पदस्थ होने के बाद भी डॉ. जेकब यहॉं के चिकित्सालय में नहीं देखी गई। मामला सुर्खीयों में आने के बाद जिले के अधिकारियों द्वारा तीन दिन डॉ. जेकब को नागदा के पशु चिकित्सालय में भेजा जा रहा है तथा तीन दिवस अभी भी वह उज्जैन में ही रह रही है। ऐसे में शहर एवं नागदा से जुडे सैकडों गांव के पशु पालकों को काफी असुविधाओं का सामना करना पड रहा है। वहीं वर्तमान में वर्षा ऋतु के चलते सडकों पर बैठने वाले गोवंश जो कि कभी दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं उनके उपचार में भी काफी देरी होती है तथा कई बार तो गोवंश को उपचार ही नहीं मिल पाता है जिसके चलते कई गायों की मृत्यु भी हो गई है। ऐसे में जिले के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों को चाहिए कि नागदा में स्थायी पशु चिकित्सक को पदस्थ किया जाना चाहिए।
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