MP NEWS24-उत्तर भारतीवासियों के महान धार्मिक छट पर्व की छटा चंबल नदी के छट घाटों पर देखते ही बन रही थी। व्रत के तीसरे दिन बड़ी संख्या में पूर्वांचलवासी महिला-पुरूष नायन डेम, हनुमान डेम, मेहतवास, छट घाट पर अलसुबह से ही मौजूद थे। यहां गन्ने व फुलों तथा फलों से छट मैय्या की विधि को सजाया गया तथा धूप ध्यान के माध्यम से पूजा अर्चना करते हुए अखण्ड सौभागय की कामना भी महिलाओं के द्वारा की गई। परम्परा एवं रीति रिवाज के अनुरूप चार दिवसीय छट पर्व को लेकर पूर्वांचलवासियों में एक अलग ही उत्साह बना हुआ था। तीसरे दिन यानी बुधवार को चंबल नदी का किनारा जगमगाहट रोशनी में नहाया हुआ था तो दूसरी तरफ छट मैय्या की आराधना को लेकर धार्मिक भजनों एवं गीतों की स्वरलहरियों से छट घाट गूंज रहे थे। महिलाए रंग बिरंगे वस्त्र धारण किए छट मैय्या की आराधना को लेकर बांस के बने सुपडे में फल इत्यादि रखकर नदी के जल में खडे होकर सूर्य देव की आराधना कर रही थी तथा सूर्य के ढलने तक नदी में खडे रहकर विधि विधान के साथ महिला पुरूष जोडे के साथ सामुहिक रूप से धर्मलाभ अर्जित कर रहे थे। जैसे ही सूर्य ढलने लगा वैसे ही नदी के किनारे छट मैय्या के जयकारों से गूंज उठे तथा गंगाजल एवं दुध से भरे लोटे व कलश के माध्यम से अर्ध्य देकर श्रृध्दालु महिलाओं ने अखण्ड सौभागय की कामना की। आज यानी गुरूवार को उगते सूर्य को अर्ध्य देकर इस व्रत को विधि विधान के साथ पूर्ण किया जाएगा। छट के महापर्व को लेकर विभिन्न राजनैतिक, धार्मिक, सामाजिक व्यापारी संस्थाओं के आगेवान भी नायन हनुमान व मेहतवास डेम पर पहुंचे व सभी ने पूर्वांचलवासियों को छट पर्व की शुभकामनाए दी।सुरक्षा के कर रखे थे पुख्ता इंतजाम
नदी में खडे रहकर ढलते सूर्य को अर्ध्य देने की परम्परा को ध्यान में रखते हुए पूरा प्रशासनिक महकमा चंबल के किनारों पर अलर्ट दिखाई दे रहा था। नदी में नौकाए चल रही थी तो जिस स्थान पर महिला पुरूष नदी के जल में खडे रहते है उस स्थान को बेरिगेट व जालियां लगाकर इसलिए सुरक्षित कर रखा था कि ताकि कोई पूजा अर्चना के दौरान गहरे पानी में चला न जाए। प्रशासन इस बात को लेकर भी चौकन्ना था कि अगर भूले भटके कोई गहरे पानी मे चला जाता है तथा गिर जाता है तो उसे बचाने के लिए गौताखोर व नौका सवार चंबल में गस्त करते हुए किनारों के निकट दिखाई दे रहे थे। तमाम पुलिस अधिकारी जिसमें नगर पुलिस अधिक्षक, दोनों थानों के टीआई व पुलिस के जवान मुस्तेद होकर हर गतिविधियों पर नजरे गढ़ाए हुए थे।
छट मैय्या के स्थान को सजाया गया
छट मैय्या की पूर्वांचलवासियों के द्वारा श्रृध्दा एवं भक्ति के साथ सूर्य को अर्ध्य देने के क्रम में छट मैय्या के स्थान को जहां विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जानी थी उस स्थान को गन्नों के तोरण व फूलों की लडियों व रोशनी से सजाया गया था। धूप ध्यान की सुगधं हर तरफ फैली हुई थी। तो छट मैय्या प्रसंग से जुडे गीतों की स्वरलहरियां भी छट घाट पर सुनाई दे रही थी। सुबह से लेकर सूर्य ढलने के समय तक के दोर में यहां का नजारा एक अलग अंदाज को लिए हुए था। छट मैय्या के भक्तगण मां की भक्ति में लीन होकर इस महान पर्व को पूर्ण करने में जुटे हुए थे। बच्चे व युवतियां में भी एक अलग ही खुशी दिखाई दे रही थी। बच्चों के द्वारा रंग बिरंगी फूलझडियां जलाने के साथ-साथ आतिशबाजी भी की जा रही थी।
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