नागदा जं.-सर्वाेच्च न्यायालय के आदेशानुसार सिंगल पेरेंन्ट बच्चों को मुख्यमंत्री कोविड जनकल्याण योजना का लाभ दीपावली पूर्व दे सरकार- विधायक गुर्जर

MP NEWS24- विधायक दिलीपसिंह गुर्जर ने मुख्यमंत्री को स्मरण पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि कोरोना काल में मध्यप्रदेश के लगभग दस हजार बच्चो ने अपने माता-पिता दोनो में से एक को खो दिया है, यह बच्चे असहाय हो गए है इनकी शिक्षा, दीक्षा व भरण पोषण की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है ऐसे परिवारों को असहाय बच्चो की शिक्षा व भरण पोषण के सहारा के लिए 13 मई 2021 को घोषणा की गई थी कि प्रत्येक ऐसे परिवार को इस योजना के तहत 21 वर्ष की आयु तक हर माह पांच हजार पेंश्न व चार लाख रूपये भी दिए जाएगें लेकिन प्रदेश के हजारों बेसहारा बच्चे जिनके माथे पर से माता या पिता की छत्र-छाया, हाथ सदा-सदा के लिए उठ चुका है वे बच्चे मुख्यमंत्री की घोषणा (बेसहारा को सहारा देने) पर अमल का इंतजार कर रहे है।

सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का पालन करे सरकार
श्री गुर्जर ने बताया कि सर्वाेच्च न्यायालय ने भी राज्य सरकार को निर्देशित किया कि कोरोना की दुसरी लहर में जिन बच्चों के माता या पिता काल के गाल में समा गए है उन असहाय बच्चों को सहारा देन के लिए चार लाख रूपये नहीं दे सकते तो सरकार की हैसियत अनुरूप मदद करे लेकिन आज तक प्रदेश सरकार ने जो पचास हजार रूपये देने की दूसरी बार घोषणा की उसका भी पालन नहीं हो पा रहा है। प्रदेश सरकार की घोषणा थोती साबित हो रही है।
योजना के ड्राफ्ट में था उल्लेख
श्री गुर्जर ने पत्र में यह भी बताया कि मंत्रालय द्वारा आपके निर्देश पर जो ड्राफ्ट तैयार किया था उसमें स्पष्ट था कि कोरोना से जिनकी मृत्यु हुई हे उन बच्चों परिवार में कोई कमाने वाला नहीं है वे इस योजना के पात्र है लेकिन सरकार के बार-बार निर्देश पर ड्राट बदला जा रहा है जो फायलन ड्राप तैयार किया उसमें भी बिंदू क्रमांक 4.4 हटा दिया गया जबकि पहले ड्राप में सिंगल पेरेंट बच्चो को लाभ के लिए पात्र माना था।
बार-बार नियमों में बदलाव क्यों ?
श्री गुर्जर ने इस बात की और भी ध्यान आकर्षित कराया कि इस योजना में वे ही शामिल है जिनकी मृत्यु 1 मार्च से 31 जुलाई 2021 के बीच हुई थी तो फिर बार-बार नियमों में बदलाव क्यों किया जा रहा है? सरकार की घोषणा अटल सत्य लेती है फिर दस हजार बच्चों के साथ घोषणा छलावा साबित क्यों हो रही है क्या सवोच्च न्यायालय के आदेश-निर्देश का पालन भी सरकार नहीं कर रही है। चार लाख की घोषणा और शासकीय या अशासकीय में जहां भी ये बच्चे पढ रहे है इन्हें निःशुल्क शिक्षा देने की बात पर आज तक कोई अमल नहीं होना उन दस हजार बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड किया जा रहा है।
श्री गुर्जर ने बताया कि माता या पिता की मृत्यु हो गई उनके सामने घोर अंधेरा छा गया। सरकार की घोषणा तत्काल अमल हो और दीपावली पूर्व लाभ दे दिया जाये तो यह दीपोत्सव की रोशनी उनके जीवन में चौगुनी साबित होगी।

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