नागदा--पर्णकुटी क्रांतिकारियों की शरणस्थली, साहित्यकारों की उत्प्रेरक भूमि और धर्मज्ञो की साधना

 

MP NEWS24- पर्णकुटी क्रांतिकारियों की शरणस्थली, साहित्यकारों की उत्प्रेरक भूमि और धर्मज्ञो की साधना धरा रही है। देश के कई दिग्गज राजनेताओं, क्रांतिकारियों और महात्माओं की चरणधूलि से यह पुण्यभूमि आप्लावित है। इसे वंदन करना सौभाग्य की बात है। उक्त विचार वरिष्ठ पत्रकार कैलाश सनोलिया ने गीता जयंति सप्ताह के अंतर्गत पर्णकुटि नागदा पर आयोजित व्याख्यानमाला एवं काव्यांजलि समारोह में दि. 19.12.2021 को व्यक्त किये।

अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र कांठेड़ ने ‘धरा‘ की महत्ता पर प्रभावी रचना सुनाकर सबका दिल जीत लिया।
काव्यात्मक संचालन करते हुए कवि सुन्दरलाल जोशी ‘सूरज‘ ने कहा कि गीता योग सिखाती है वियोग नहीं। इसमें मानव कल्याण की प्रधानता दी गई है। गीता के महत्व को शब्दों में व्यक्त करना मानव शक्ति से परे है। गीता अनुकरणीय है।
माँ सरस्वती की वंदना करते हुए अशोक गौर की वंदना
‘वरदे हमे माँ शारदे, सम बुद्धि का आधार दे।‘
अखिल स्नेही के इस गीत पर श्रोता वाह-वाह कर उठे-
‘मन के झूले झूल रहा है, मन मन होता भारी मन।
मन की महिमा मन ही जाने, मन का बहुत आभारी मन।‘
डॉ. लक्ष्मीनारायण सत्यार्थी के इस मालवी गीत ने मन मोह लिया-
‘वा घर जावे वैरन नींद, जिण घर ओम नाम नही आवे।‘
युवा कवि देव गुर्जर ने मन की पीड़ा को कुछ इस प्रकार व्यक्त किया-
‘हमने मुसीबत को झेला जरूर है, पर अपना साहस सँवारे हुए है।‘
कृष्णभक्त सुरेश रघुवंशी की इन पंक्तियों ने समां बाँध दिया-
‘शब्द प्रेम के तेरे मुझको, प्रायोजित से लगते है।
खुश्बू नहीं प्यार की उनमें, मुझको नकली लगते है।।‘
माधव शर्मा की इन पंक्तियों पर खूब तालियाँ बजी-
‘पक्षियों ने अपना न काम बदला, फूलो ने भी अपना रंग बदला।
शायद यही प्रकृति का नियम है, इसीलिए ईश्वर ने भी युग बदला।।‘
कृष्णचंद्र पुरोहित की प्रेरणादायी रचना को सभी ने सराहा-
‘हिन्द देश हित आगे, सभी युवा जन जागे।
राम की कसम, तोड़ो उसका भरम।।‘
सुन्दर ‘सूरज‘ की इन पंक्तियों ने भक्ति रस की गंगा प्रवाहित कर वातावरण भक्तिमय कर दिया-
‘तू ही माधव, तू ही मोहन, तू ही तो रखवाला है।
साथ खड़ा तू जिसके हरदम, वो तो किस्मतवाला है।।‘
अनिल शर्मा ने पं. हरिप्रसादजी शर्मा विरिचित एक मधुर गीत प्रस्तुत किया। इस अवसर पर अखिल स्नेही का  उनकी काव्य साधना के लिये मंत्रणा साहित्यिक संस्था की ओर से अभिनंदन किया गया।
कार्यक्रम में गोवर्धनसिंह रघुवंशी, राजेन्द्र पोरवाल का विशेष सहयोग रहा। अंत में निखिल शर्मा ने सभी का आभार माना।

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