MP NEWS24- जिले की विभिन्न तहसीलों में विगत दिनों हुई बारिश और ओलों के बाद ठंड ने फिर जोर पकड़ लिया है। शहर में सीजन में दूसरी बार रात का पारा 6 डिग्री से नीचे आ गया। मंगलवार-बुधवार की रात उज्जैन में तापमान 5-6 डिग्री दर्ज किया गया। संभवतः मंगलवार को सबसे ठंडा दिन रहा। प्रदेश के अधिकांश इलाकों में दिन का तापमान 20 डिग्री के नीचे आ गया है तथा रात का 10 के नीचे चल रहा है इतना ही नहीं दिन में भी शीतलहर चल रही है एवं रात काफी ठिठुरन भरी रह रही हैं। बुधवार की अल सुबह पुरे शहर कोहरे की चादर ओढे हुए था तथा थोडी दुर भी देख पाना मुश्किल हो रहा था।क्यों बढी ठंडक
ब्ताया जाता है कि वर्तमान में जम्मू के ऊपर पश्चिमी विक्षोभ एक चक्रवातीय गतिविधियों के रूप में ट्रफ बनी हुई है। इससे होकर एक अन्य ट्रफ लाइन दक्षिण-पूर्वी मध्यप्रदेश तक गुजर रही हैं। दक्षिण-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी और कोंकण में एक ट्रफ के साथ अन्य चक्रवातीय गतिविधियां भी सक्रिय हैं। इससे ठंड बढ़ी है। इसी के चलते बीते कुछ दिनों से वातावरण में जोरदार ठंडक घुली हुई है। न्यूनतम तापमान ऐसा तेजी से नीचे आया कि सीजन की दूसरी सबसे सर्द रात हो गई। रात का तापमान कम होने के बाद पाला पडऩे की आशंका है। इससे पूर्व शहर में 23 दिन पहले 20-21 दिसंबर की दरमियानी रात तापमान 6 डिग्री था। एक बार फिर यह 11-12 जनवरी को 5-6 डिग्री पर आ गया।
मंगलवार को सर्द हवाओं के कारण शीत लहर शुरू हो गई। मौसम विभाग ने पाला पडऩे की आशंका जताई है। रात का पारा 8.4 और दिन का 16 डिग्री था। एकाएक 12 डिग्री तापमान गिरने से पाला पडऩे की आशंका है। इसके पहले 18 दिसंबर को न्यूनतम तापमान 6 डिग्री दर्ज किया गया था। मंगलवार को दिनभर मौसम में काफी ठंडक रही। इसका असर रात को नजर आया। नतीजतन ठिठुरन बढ़ गई।
सड़कें दिखने लगी सूनी
सर्द मौसम का असर अब आवाजाही पर भी दिखाई देने लगा है। रात को सड़कें जल्द सुनी हो रही है, तो सुबह भी ऐसी ही स्थिति बनी हुई है। लोग काफी समय तक घरों में ही रहे। दिन-रात का तापमान गिरने से शाम 7 बजे बाद ही शहर की सड़कों का ट्रैफिक लगभग कम होकर रात 10 बजे तक पुरा शहर सुनसान हो जा रहा है।
इसलिए बनी हुई पाला पडऩे की आशंका
बुधवार को आकाश पूरी तरह से साफ रहा। हवा में नमी है। साथ ही यदि शाम को वातावरण में तापमान ज्यादा-कम हो और जमीन पर तापमान शून्य या कम हो जाए तो ऐसी स्थिति में हवा में मौजूद नमी जल वाष्पीकृत होकर ठोस अवस्था में (बर्फ) बदल जाती है। साथ ही पौधों की पत्तियों में मौजूद ओस के कण बर्फ के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं, जिससे पत्तियों की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। ं
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