MP NEWS24-आज दुनिया का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है कि जहां लड़कियों ने खुद की प्रतिभा को साबित नहीं किया हो, अंतिरक्ष में जाने से लेकर, इंजीनियरिंग, राजनीति, मेडिकल, खेल, एवं मनोरंजन तक हर जगह लड़कियों का बोलबाला है। वहीं लड़कियों की शिक्षा को लेकर भी समाज के हर तबके के लोगों की मानसिकता बदली है। राष्ट्रीय बेटी दिवस के अवसर पर परिवार का नाम गौरवान्वित करने वाली बेटियों के अभिभावकों की भावनाओं से आपको रूबरू करवा रहे हैं। वहीं बेटियों के प्रति सकरात्मक सोच विकसित करने वाले, एवं प्यार बढ़ाने वाले कुछ अच्छे वचनों को हम प्रस्तुत कर रहे हैं।कहा जाता है कि एक मीठी सी मुस्कान हैं बेटी यह सच है कि मेहमान हैं बेटी, उस घर की पहचान बनने चली जिस घर से अनजान हैं बेटी। बेटी की हर ख्वाहिश पूरी नहीं होती, फिर भी बेटिया कभी भी अधूरी नहीं होती। शाख़ है न फूल अगर तितलियां न हो, वो घर भी कोई घर है जहां बच्चियां न हो।
जिस घर में बेटियां होती हैं, उस घर की रौनक ही अलग होती हैं, बेटियां खुशियां का अंबार होती हैं, जिनके अंदर प्यार ही प्यार छिपा रहता है और वे दिल खोलकर अपना प्यार लुटाती हैं। आंगन में चाहे लाख गुलाब लगा लो, लेकिन जीवन में खुश्बू बेटियों के आने से ही होती है। बेटियां वो होती हैं जो कि हर रिश्ते को बेहद अच्छी तरह न सिर्फ निभाती हैं बल्कि रिश्तों की अहमियत एवं प्यार करना सिखाती हैं। वे मां, बहन, बेटी और पत्नी के रुप में खुद को न सिर्फ साबित करती हैं, बल्कि एक-दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान की भावना पैदा करती हैं।
बेटी दिवस पर सीडनी ऑस्ट्रेलिया से लोटी मारू परिवार की लाडली
सोमवार को बेटी दिवस के अवसर पर मारू परिवार में काफी खुशी का माहौल दिखाई दिया। परिवार की लाडली प्रियांशी मारू जो कि उच्च अध्ययन हेतु सिडनी ऑस्ट्रेलिया गई हुई थी कोविड-19 के कारण हिन्दुस्तान नहीं लौट पा रही थी, 25 माह बाद राष्ट्रीय बेटी दिवस के अवसर पर नागदा पहुॅंची। बेटी के आने की खुशी परिवार में इतनी थी कि प्रियांशी का स्वागत ढोल-ढमाकों के साथ किया गया। बिटिया के घर आने की खुशी दादी से लेकर बुआ, माता से लेकर बहन, पिता से लेकर भाईयों तथा पडोसियों में भी देखी गई। पुरे घर को प्रियांशी के आने की खुशी में गुब्बारों से सजाया गया तथा केक काटकर कर खुशीयॉं मनाई गई। बिटिया के लौटने की खुशी को जाहिर करते हुए पंकज मारू ने कहा कि उनके लिए बेहद खुशी का पल है कि प्रियांशी 25 माह के बाद नागदा लौटी हैं। उन्होंने बिटिया की उपलब्धि पर गर्व महसुस करते हुए कहा कि प्रत्येक अभिभावक को अपनी बेटी को उच्च शिक्षा ग्रहण करवाना चाहिए, क्योंकि बेटियॉं भी बेटों से कहीं भी कम नहीं होती, यदि बेहतर अवसर मिले तो वह निश्चित परिवार के नाम को गौरवान्वित करके दिखाऐंगी।
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