नागदा जं.--तीसरी मंजिल तक पानी पहुॅंचाने के दावे को पुरा करने में नपा का कोष रसातल में पहुॅंच गया, फिर भी नहीं मिल पा रहा शुद्ध एवं पूर्ण प्रेशर से पानी

MP NEWS24- वर्षो पूर्व राज्य शासन द्वारा स्वीकृत नागदा शहर की जल आवर्धन योजना को शासन के पीएचई विभाग द्वारा क्रियान्वयन करना था। लेकिन नगर पालिका में ततसमय बैठे भाजपानित परिषद के पदाधिकारियों ने मोटी कमाई का काम देख इस योजना को नगर पालिका के माध्यम से क्रियान्वित करने का प्रस्ताव शासन को भेज दिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि वर्षो पूर्व पूर्ण होने वाली जल आवर्धन योजना आज तक अपूर्ण है तथा इस योजना को क्रियान्वित करने में नगर पालिका का पुरा कोष रसातल में पहुॅंच गया है लेकिन तीसरी मंजिल तक पानी देने का वादा अभी तक पुरा नहीं हो पाया है। अलबत्ता करोडों की लागत से बनी सीमेंट-कांक्रिट एवं डामर की सडकों को खोद कर उन्हें बरबाद करने का कार्य भी ठेकेदार द्वारा किया जा रहा है। वहीं पुरी तरह से तकनिकी रूप से पूर्ण होने के पूर्व ही नवीन पाईप लाईन से पेयजल का वितरण प्रारंभ कर दिया गया है जिसका खामियाजा अब जनता को भूगतना पड रहा है।

क्या है मामला
वर्षो पहले क्षेत्र के विधायक दिलीपसिंह गुर्जर द्वारा नागदा शहर की पेयजल आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु 4 करोड 58 लाख की लागत की पेयजल आवर्धन योजना की स्वीकृति शासन से करवाई थी। बताया जाता है कि ततसमय पेयजल योजना का क्रियान्वयन पीएचई विभाग के माध्यम से होना था। लेकिन नगर पालिका में सत्तासीन लोगों द्वारा इस योजना में मोटा कमिशन मिलने की ललक को देखते हुए इसे नगर पालिका के माध्यम से क्रियान्वित करने का प्रस्ताव पास कर शासन को भेज दिया। जबकि नपा को सिर्फ उक्त योजना के क्रियान्वयन हेतु मात्र एलआईसी को ग्यारंटी देनी थी। लेकिन नपा के ततकालीन कर्णधारों ने इसे अपने हाथ में लिया और आज वर्षो बीत जाने के बाद भी योजना क्रियान्वीत नहीं हो पाई है।
योजना का क्रियान्वयन कैसे होना चाहिए था
योजना के तहत सबसे पहले पानी पंप हाउस, फिल्टर प्लांट बनाया जाना था उसके बाद पुरे शहर में जल वितरण हेतु 5-7 टंकियों का निर्माण होना था तथा टंकियों के निर्माण के साथ ही संपूर्ण शहर में पेयजल वितरण पाईप लाईन को डाला जाना चाहिए था। जिसकी समुचित टेस्टिंग उपरांत शहर की सडकों का निर्माण होना था। लेकिन नपा ने इस पुरे खेल को उल्टा चलाया। पहले कुछ टंकियों का निर्माण किया, फिर फिल्टन प्लांट बनाया तथा चार वर्षो से वितरण पाईप लाईन में उलझे हुए हैं। लेकिन 10-15 वर्ष योजना की स्वीकृति को हुए बीत चुके हैं लेकिन योजना आज तक क्रियान्वित नहीं हो पा रही है।
रसातल में पहुॅंचा नपा का कोष, संचित निधि भी तुडवाई
मामले में सूत्र बताते हैं कि पेयजल आवर्धन योजना के क्रियान्वयन में नपा का कोष ही रसातल में पहुॅंच गया है। मामला इतना गंभीर हो चला है कि नपा को अपनी 10 करोड की संचित निधि को भी तुडवाना पडा है तथा सूत्र बताते हैं कि शासन स्तर पर 5 करोड व्यय करने की अनुमती भी कुछ शर्तो पर मिल गई है। मामले में यह भी कहा जा रहा है कि 2-2 करोड रूपये के संपवेल नपा ने बना डाले, ऐसे में इन संपवेल को पहले भरा जाऐगा उसके बाद पानी की टंकियॉं भराऐंगी। ऐसे में एक ही कार्य के लिए नपा दो-दो बार अपने बिजली संसाधनों का उपयोग करेगी, तथा विद्युत का बील भी आसमान में पहुॅंच जाऐगा। इन संपवेल एवं टंकियों को भरने के लिए भी 100-150 हासपावर की मोटरों को क्रय करना होगा जिसमें मोटा कमीशन नपा के कर्णधार कमा रहे हैं तथा जनता इस तकनिकी उलझन में आज तक उलझी हुई है।

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