नागदा जं.--स्नेह टीम की मेहनत का दम, 15 महीने बाद उठे दिनेश के कदम स्पाइनल कोर्ड इंजुरी के ऑपरेशन के बाद जो स्वयं हिलडुल भी नहीं पाते थे स्वयं ही चलने लगे

MP NEWS24-दिव्यांगजनों के हितार्थ एवं कल्याणार्थ कार्यरत देश की सर्वश्रेष्ठ सामाजिक संस्था में शुमार स्नेह में लगातार दिव्यांगजनों को सामाजिक धारा से पुनः जोडने तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का कार्य निरंतर किया जा रहा है। एक ऐसा ही पल संस्था प्रमुख पंकज मारू ने हमारे साथ साझा किया है।

मारू ने बताया कि चैत्र नवरात्रि का आज सातवाँ दिवस... स्नेह में सुबह की प्रार्थना के बाद सभी अपने अपने कार्यों में व्यस्त। थोड़ी देर मै फिजियो थेरेपी डिपार्टमेंट की गुडिया शर्मा ने आकर मुझे कहा कि सर जल्दी चलिए और देखिये दिनेश पंचाल क्या कर रहे है। मै थोडा घबराया कि पता नहीं क्या हुआ और तुरंत अपने केबिन से बाहर तेजी से फिजियोथेरेपी डिपार्टमेंट की और चला। सामने कोरिडोर में देखा तो मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। सामने दिनेश पांचालजी स्वयं वॉकर के सहारे से चल रहे थे। ये 51 वर्षीय वही दिनेश भाई है जो जनवरी 21 में दुर्घटना के पश्चात स्पाइनल कोर्ड इंजुरी के ऑपरेशन के बाद स्नेह में पहली बार आये थे और हिलडुल भी नहीं पा रहे थे। यहाँ तक की टॉयलेट के लिए भी केथेटर लगा था। हर काम के लिए सहारे पर निर्भर थे। डॉक्टर ने भी कह दिया था कि शायद अब जीवन में चलना फिरना मुश्किल ही होगा क्योंकि सी-5 एवं सी-6 सर्वाइकल लेवल की चोट थी। किन्तु स्नेह की हमारी सह संस्थापक स्वर्गीय लायन डॉ. नैना क्रिश्चयन ने मुझे कहा कि सर हम इन्हें ठीक कर सकते है। ये रोज आना जाना तो नहीं कर सकते इसलिए इन्हें हम अपने गेस्ट हाउस का एक कमरा भी दे दे तो एक डेढ़ साल में ये ठीक हो सकते है। मैंने भी हां कर दी और फिर शुरू हो गया थेरेपी का सिलसिला द्य हमारी समर्पित टीम जिसमे गुडिया शर्मा (दिव्यांग बच्चे की अभिभावक), प्रमोद धर दुबे (जो स्वयं एक बौद्धिक दिव्यांग है) ने प्रतिदिनं 4 घंटे थेरेपी देना शुरू किया। थेरेपी ने असर दिखाना शुरू ही किया था कि कोविड की दूसरी लहर शुरू हो गयी,  परन्तु लायन डॉ नैना ने थेरेपी बंद नहीं की। किन्तु वह स्वयं भी कोविड की दूसरी लहर की चपेट में आ गयी और हम सबकी लाख कोशिशों के बाद भी 28 मई को 22 दिनों के संघर्ष के बाद मात्र 38 वर्ष की उम्र में हमसे बहुत दूर चली गयी। मेरे साथ साथ दिनेश जी के लिए यह एक और बड़ा झटका था। किन्तु मै हमेशा से मानता हूँ कि स्नेह ईश्वर स्वयं संचालित कर रहा है और इसकी सारी व्यवस्थाएं भी वही जमाता है। नागदा जैसे छोटे शहर में डॉ. नैना के जाने के बाद मास्टर्स इन फिजियोथेरेपी किये डॉ. विजेंद्रसिंह डोडिया का आगमन इसी का परिणाम था और वो भी उतने ही काबिल एवं समर्पित इंसान थे। टीम ने फिर पुरे जोश के साथ दिनेश जी की थेरेपी शुरू की। धीरे-धीरे दिनेशजी के हाथ चलने लगे और वे अपना खाना स्वयं के हाथो से खाने लगे। कुछ दिनों बाद उन्होंने बैठना शुरू किया। उनको चलाने के लिए डॉ. डोडिया ने मुझे हाइड्रोथेरेपी शुरू करने का कहा और हमने उसे भी शुरू किया और उसका प्रथम सुखद परिणाम आज माँ दुर्गा की इस गुप्त नवरात्री के सप्तम दिवस पर इस विडियो में हम सबके सामने है। निश्चित टीम स्नेह के भागीरथी प्रयास से उम्मीद है कि दिनेश भाई जो पेशे से एक फोटोग्राफर है शीघ्र ही हमें केमरा क्लिक करते हुए शादी पार्टियों में दिखेंगे।

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