MP NEWS24- कोरोना महामारी के दौरान लगाऐ गए लॉकडाउन की अवधि की फीस वसुली में भी निजी विद्यालय लग गए हैं। सरकार एवं स्थानीय प्रशासन की मौन स्वीकृति के चलते यह सब हो रहा है। निजी विद्यालय संचालक इतने बेलगाम हो चुके हैं कि परीक्षा परीणाम के दौर में अभिभावकों पर फीस जमा करने हेतु काफी दबाव तक बनाया जा रहा है तथा फीस जमा नहीं करने पर विद्यालय प्रबंधन द्वारा न तो बच्चों का परीक्षा परिणाम बताया जा रहा है और ना ही आगामी शिक्षा सत्र के बारे में जानकारी दी जा रही है। इस पुरे घटनाक्रम में मण्डी क्षेत्र के विद्यालय तो ठीक बिरलाग्राम क्षेत्र के नामचीन विद्यालय भी शामिल हैं। आदित्य बिरला सिनियर सेकेण्डरी विद्यालय, आदित्य बिरला पब्लिक स्कूल, आदित्य बिरला हायर सेकेण्डरी स्कूल आदि ऐसे नाम हैं जहॉं अभिभावकों पर काफी दबाव बनाया जा रहा है। जबकि विद्यालय में अध्ययनरत 70-80 प्रतिशत विद्यार्थीयों की फीस विद्यालय प्रबंधन पूर्व से ही ऐसे अभिभावकों जो कि उद्योग में कार्यरत है के वेतन से पूर्व से ही काट चुका है। ऐसे में विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थी काफी मानसिक प्रताडना झेलने पर मजबुर हो रहे हैं।क्या है मामला
मामले में प्राप्त जानकारी के अनुसार मार्च-अप्रैल माह में विद्यालयों में परीक्षा परिणाम घोषित किए जाते हैं। जहॉं विगत दो वर्षो से कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन लागू था तथा पुरे देश में सभी संस्थान बंद थे। बावजुद इसके महिनों की फीस विद्यार्थीयों के अभिभावकों से मनमाने तरीके से वसुली जा रही है। प्रदेश सरकार ने जहॉं विद्यालयों को ट्यूशन फीस लिए जाने का आदेश दिया है, लेकिन इसके एवज में विद्यालय प्रबंधन संपूर्ण वर्ष की फीस वसुलने पर आमादा हो चला है। ऐसे में महंगाई एवं बेरोजगारी की मार झेल रहे अभिभावकों के समक्ष काफी संकट उत्पन्न हो गया है।
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पक्ष एवं विपक्ष दोनों ही मौन
जनता के हितों का राग अलापने वाले राजनीतिक दलों के आगेवान चाहे वह पक्ष हो या विपक्ष दोनों ही दल के राजनेता इस मामले में मौन साधे हुए हैं। क्योंकि शहर के नामचिन विद्यालयों का संचालन उद्योग प्रबंधन द्वारा किया जाता है। उद्योग जहॉं विद्यालय संचालन के नाम पर करोडों की सब्सीडी देने की बात करता है वहीं विद्यालय प्रबंधन द्वारा बच्चों के अभिभावकों से लॉकडाउन अवधि की भी पुरी फीस वसुली जा रही है। ऐसे में बढती महंगाई, बेरोजगारी आदि के दौर में अभिभावकों पर अतिरिक्त बोझ डाला जा रहा है। लेकिन जनता के मत से अपना भविष्य बनाने वाले राजनेता बच्चों के भविष्य के प्रति बिलकुल भी चिंतित दिखाई नहीं दे रहे हैं, जिसका परिणाम है कि निजी विद्यालय प्रबंधक अपनी मनमानी करने पर आतुर हैं।
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