नागदा जं.--नगर पालिका के अक्षम प्रशासक को हटाकर जनता को शुद्ध पेयजल उप्लब्ध करवाये शासन - नागरिक अधिकार मंत्र

MP NEWS24-नागरिक अधिकार मंच के पदाधिकारियों ने जल आवर्द्धन योजना मे शुद्ध पानी देकर जनता से नगर पालिका को शुल्क देने का अधिकार है। गन्दा और मटमैला पानी देकर शुल्क वसूली जनता से धोखाधड़ी है। नपा कि लापरवाही के चलते करोड़ो रुपयो का जलकर वसूलने का अधिकार नही है। इसी के चलते जनता को पेयजल के रुप मे केनो का पानी पिना पड़ा। जनता को अशुद्ध जल कि क्षति पूर्ति नपा को देना चाहिये एवं अशुद्ध जल के लिये जलकर वसूली पर शासन को प्रतिबंध लगाया जाना चाहिये। प्रशासक भी नपा कि व्यवस्था करने और जनता को शुद्ध पेयजल उप्लब्ध करवाने मे दोषियो को बचाने के लिये कार्यवाही कि नोटंकी कर रहे हैं। ऐसे में प्रशासक को शीघ्रता-शीघ्र पद से हटाया जाय। प्रशासक नपा अधिनियम के अनुसार कार्य करने मे सक्षम नहीं है। मनमानी और उल-जलूल कार्यवाही कर पिछले कई महीनों से समस्या को सुलझाने कि बजाय उलझा रहे। चन्द नेताओ के एजेन्ट के रूप मे कार्य कर रहे प्रशासक कि अवैधानिक कार्यवाहीयों पर शासन को शीघ्र संज्ञान लेना चाहिये। शासन को प्रशासक का चार्ज अन्य किसी सक्षम अधिकारी को देना चाहिये।

तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री द्वारा अशुद्ध जल प्रदाय को लेकर स्वयं फिल्टर प्लान्ट पहुंचकर जल को स्वय पीकर शुद्ध होने का गैर कानूनी और अवैधानिक प्रमाण क्यों दिया था इसका भी खुलासा करना चाहिये। इस प्रमाण के चलते नागदा कि जनता अधिकारियो कि मनमानी सहन कर वर्षों से अशुद्ध पेयजल पीती रही है। इसके लिये भी भाजपा को नगर कि जनता से माफी मांगना चाहिये। वर्तमान के कर्नाटक के राज्यपाल से नागरिक अधिकार मंच मांग करता है कि एक बार पुनः पेयजल पिकर जनता को बताए कि नपा द्वारा शुद्ध पेयजल प्रदाय किया जा रहा है अथवा नहीं। नागरिक अधिकार मंच के अध्यक्ष अभय चोपड़ा और शैलेन्द्र चोहान द्वारा बतलाया गया कि जल शुद्धिकरण व्यवस्था कि क-ख-ग नही जानने वाले प्रशासक ने बिना किसी उचित जांच के परिणाम के  अवैध नोटिस देकर जनता और मिडिया को क्यो गुमराह किया जा रहा हैं? अधीक्षण यंत्री लोक स्वास्थ्या एवं यांत्रिकी विभाग से जांच क्यों नही करवाई जा रही ? पेयजल के सेम्पल लेकर प्रदूषण विभाग से जांच क्यो नही करवाई जा रही। प्रदुषित पेयजल पर खाद्य विभाग मौन क्यो है ? बिना विशेषज्ञों एवं नियम कानून के समस्त जांच और और कार्यवाही पूर्णतया अवैध और दोषियो को बचाने वाली है और समस्था का समाधान करने में भी बाधा है। अतः शीघ्रता-शीघ्र वैधानिक कार्यवाही कि जाय।

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