ज्ञापन देकर प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री में मांग की गई कि औद्योगिक रोजगार स्थाई आदेश कानून में 300 से अधिक कर्मचारियों के लिये छूट दी गई है यह बहुत ही आपत्तीजन है। वर्तमान में कुछ राज्यों में यह संख्या 100 एवं 50 है। इसी प्रकार वास्तव में दो एनसीएल ने 50 से 20 श्रमिकों से स्थाई आदेशों को तैयार करने के लिये सीमा को नीचे लाने का प्रस्ताव दिया है। पीएससीएल ने यह कहते हुए स्थाई आदेश में छूट का विरोध किया है कि हितधारकों के मन में अनिश्चिता पैदा कर सकता है। इसके अलावा एमओएलई ने पीएससीएल को बताया कि माॅडल स्टेडिंग आॅर्डर सर्टीफिकेशन आॅफ स्टेंडिंग आर्डर को नहीं बदला क्योंकि ये अच्छी तरह से कसम कर रहे हैं। पीएससीएल ने ट्रेड यूनियन के पंजीयन के लिए 45 दिनों की समय सीमा की सिफारिश की। यह संयुक्त ट्रेड यूनियनों के लंबे समय से लंबित मांग थी जिसे अभी भी शामिल नहीं किया गया है जबकि नियोजित करने के लिये नियोक्ताओं की अनुमती के लिए छंटनी और समापन निर्धारित 60 दिनों की समय सीमा है। इसी प्रकार एकमात्र बातचीत संघ के नए प्रावधान में पात्रता केवल 51 प्रतिशत या अधिक है। पिछले मसौदे में यह 75 प्रतिशत थी यह एकल संघ का एकाधिकार करने और अन्य सभी यूनियनों को खत्म करने का एक अतिवादी प्रयास है।
ज्ञापन में कहा गया कि सबसे विवादास्पद अध्याया वीबी और चेप्टर एक्स ले आउट छंटनी और बंद करने पूर्व अनुमती पर तीन सौ श्रमिक तक की छूट दी गई है। यह व्यापार बंद करने में आसानी से बढावा देना व्यापार करने में आसानी नहीं है। आईआर कोड संसद के नौकरशाहों की जगह लेने की कोशिश से भरा है। इसके अलावा अन्य मुद्दों पर भी ज्ञापन दिया गया तथा उपरोक्त परिवर्तन का विरोध करते हुए इन्हें निरस्त किऐ जाने की मांग की गई।
यह थे उपस्थित
ज्ञापन प्रेषित करते समय श्री राठौड के अलावा अशोक गुर्जर, मनोहर गुर्जर, राजेन्द्र पेंडसे, दशरथसिंह तंवर, सत्यनारायण शर्मा, राजकुमार सिसौदिया, कैलाश मरमट, बालकृष्ण धोलपुरे, मोहब्बतसिंह, नरेश शर्मा, लालचन्द कंडारे, रामलाल मेडवा, राकेश कल्याणे, जितेन्द्र चैहान आदि उपस्थित थे।
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