Nagda(mpnews24)। शहर में तेजी से उभरे अवैध काॅलोनाईजरों की जाचं करने के अनुविभागीय अधिकारी आशुतोष गोस्वामी के आदेश को आज 14 दिन बीत चुके हैं। लेकिन सात दिन में जांच प्रतिवेदन के निर्देशों को उनके ही मातहत अधिकारियों ने पुरा नहीं किया है तथा अभी उक्त जांच में और समय लगने की भी संभावना जताई जा रही है। ऐसे में प्रशासन की धीमी गति से चल रही जांच से अवैध काॅलोनाईजरों के हौसले बुलंद हो गए हैं तथा वह अब यह मान कर चल रहे हैं कि प्रशासन उनके विरूद्ध कोई कडा कदम नहीं उठाऐगा। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि एसडीएम कार्यालय के निर्देशों के तहत सात दिवस में दल को अपनी रिर्पोट प्रस्तुत करना थी लेकिन ऐसा हो नहीं पाया तथा सूत्रों का कहना है कि अभी मात्र दो पटवारियों ने अपनी रिर्पोट दल प्रमुख को सौंपी है, शेष की रिर्पोट आज भी आना बाकी है।
सात दिनों में भी जांच पुरी नहीं, रेरा संबंधी दस्तावेज भी मांगे टीमस्थानिय प्रशासन द्वारा अवैध काॅलोनियों की जांच के लिए टीम का गठन किया गया था। जिस टीम को उक्त जिम्मेदारी दी गई थी उसे सात दिनों में अपनी जांच रिर्पोट एसडीएम श्री गोस्वामी को प्रस्तुत करना थी, लेकिन गठित दल अपनी जांच पुरी ही नहीं कर पाया। ऐसे में इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि प्रशासन अवैध काॅलोनाईजरों को पुरा मौका दे रहा है कि कि वह दस्तावेजों की कमियों को दूर करके कार्रवाई से बच जाऐं। स्थानिय प्रशासन को रेरा कानून से संबंधित जानकारी भी अवैध काॅलोनाईजरों से तलब करना चाहिए। क्योंकि रेरा में यह स्पष्ट नियम है कि कोई भी काॅलोनाईजर 5300 स्कवेयर फीट से या 8 प्लाॅट से अधिक प्लाॅट विक्रय करता है तो उसके पास रेरा का पंजीयन आवश्यक रूप् से होना चाहिए। यदि उसने ऐसा नहीं किया है तो वह अवैध कार्य कर रहा है।
ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाने के फेर में नहीं कराते टीएनसी
मामले में जानकारों का कहना है कि काॅलोनी काटकर प्लाॅट विक्रय करने से पूर्व कृषि भूमि का व्यय परिवर्तन करवा कर नक्शा भी टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग (टीएनसी) से अनुमोदन करवाना आवश्यक होता है। लेकिन काॅलोनाईजर लाखों रूपए का खर्च बचाने के लिए टीएनसी रिर्पोट के बिना ही काॅलोनी काट देते हैं। टीएनसी से नक्शा पास कराने के लिए काॅलोनाईजर को काॅलोनी में 40 प्रतिशत हिस्सा सडक, नाली, मंदिर, गार्डर के लिए छोडना आवश्यक होता है। लेकिन काॅलोनाईजर 80 प्रतिशत हिस्सा लाभ के फेर में बेच रहे हैं। साथ ही कई बार तो आम रास्ते पर भी कृषि भूमि के मालिक का नाम खसरे में दर्ज रह जाता है जो बाद में विवाद की वजह भी बनता है। ऐसे कई मामले वर्तमान में भी तहसील कार्यालय में विचाराधीन है।
शहर में खुलेआम उल्लंघन हुआ रेरा का प्रशासन क्यों रहा मौन ?
शहर के आसपास कई काॅलोनियाॅं वर्तमान में काटी गई है इनमें से ज्यादातर अवैध हैं। अवैध काॅलोनी में प्लाॅट लेने वालों को न तो मूलभूत सुविधा मिल सकती है और ना ही उनका आशीयाने में जल्द ही कोई सुविधा मिल पाऐगी। अवैध काॅलोनी में प्लाॅट खरदीने पर सडक, पानी, बिजली आदि की समस्याओं से नागरिकों को जुझना पडेगा। काॅलोनाईजर अपना प्लाॅट तो बेचकर चला जाऐगा लेकिन कृषि भूमि में दर्ज होने के कारण भवन निर्माण की अनुमती के लिए भी काफी मशक्कत करना पड सकती है तथा महिनों इंतजार भी करना पड सकता है। साथ ही शासन की योजनाओं का लाभ भी अवैध प्लाॅटों पर नहीं मिल सकता है। ऐसे में नागरिकों को सोच-समझ कर ही प्लाॅटों को खरीदना होगा।
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