नागदा - क्या भूल हुई हम से जो विहार की बात करे................... चातुर्मास की विदाई समारोह में बह निकली आंसू धारा



Nagda(mpnews24)।   सूना है आंगन और सूना है मन-गुरूणीसा ना जाओं यहीं कहता है धड़कन, आप छोड़ के जाओंगे हम सब को रूलाओंगे ..... जैसे ही यह भजन विदाई समारोह में गुन्जाए मान हुआ उपस्थित जनसमुदाय की आंखों से आसू धारा बह निकली। यह नजारा था सोमवार सुबह 10.30 बजे लक्ष्मीबाई मार्ग स्थित पाठशाला भवन में चातुर्मास हेतु विराजित साध्वीश्री मैत्रीकलाश्रीजी मसा एवं साध्वीश्री निरंजनकलाश्रीजी मसा के चातुर्मास की विदाई समारोह की धर्मसभा का। गौरतलब है कि साध्वीश्री विगत पांच माह से पाठशाला में विराजित होकर शहर में नित्य धर्म की गंगा बहा रही थी।


धर्मसभा का हुआ आयोजन
विदाई समारोह की शुरूआत साध्वीश्री के मंगलाचरण से हुई। इससे पूर्व पाठशाला भवन में सुबह 9 बजे शंत्रुजय तीर्थ की भाव यात्रा, देववंदन एवं शंत्रुजय रास का वांचन किया गया। विदाई समारोह को श्रीसंघ अध्यक्ष विरेन्द्र सकलेचा, सचिव मुकेश बोहरा, पाठशाला भवन के ट्रस्ट अध्यक्ष भंवरलाल बोहरा, अभय चैपड़ा, सुरेन्द्र कांकरिया चातुर्मास समिति कोषाध्यक्ष हर्षित नागदा, डाॅ. पूजा नांदेचा औरा, शोभा कोचर, कोमल चैधरी आदि ने संबोधित कर चातुर्मास की यशोगाथा का गुणगान किया। धर्मसभा को साध्वीश्री ने भी संबोधित किया। इस मौके पर श्रीसंघ पदाधिकारी एवं चातुर्मास समिति पदाधिकारियों की साक्षी में उपस्थित महिलाओं ने साध्वीश्री को कांबली अर्पण कर अभिनंदन किया गया। धर्मसभा में गवली का लाभ कांतिलाल सोभाग्यमल गेलड़ा परिवार ने एवं प्रभावना का लाभ अशोककुमार शांतिलाल वागरेचा परिवार ने लिया। धर्मसभा का संचालन चातुर्मास समिति अध्यक्ष डाॅ. विपिन वागरेचा ने किया एवं आभार चातुर्मास समिति सचिव अमित गुगलिया ने माना। शंत्रुजय पट की वासक्षेप पूजन, पुष्प पूजन एवं राजेन्द्रसूरी गुरूदेव की आरती का लाभ दाखाबाई माणकलाल बोहरा परिवार, प्रथम आरती का लाभ राजेन्द्रकुमार रावतमल कोचर परिवार एवं मंगल दिपक आरती का लाभ अभयकुमार विभोरकुमार चैपड़ा परिवार ने लिया।

सदकार्य की ज्योति फैलाते रहना - साध्वीश्री मैत्रीकलाश्रीजी मसा
विदाई समारोह की धर्मसभा को संबोधित करते हुए साध्वीश्री मैत्रीकलाश्रीजी मसा ने कहा कि प्रबल पुण्योदय से प्राप्त इस मानव भव के माध्यम से 84 लाख जीवयोनी के परिभ्रमण को रोका जा सकता है। यदि 84 लाख जीवयोनी के परिभ्रमण को रोकना है और मोक्ष रूपी शाश्वत सुख को प्राप्त करना है तो नित्य सद कार्य की ज्योति को फैलाते रहना। वहीं साध्वीश्री ने उपस्थित श्रद्धालू को सिख देते हुए कहा कि हमने हमारे संयम जीवन के 28 अलग - अलग श्रीसंघ चातुर्मास किये किन्तु नागदा श्रीसंघ जो एकता है उस एकता एवं समन्वय को चिर स्थायी रखना, उसमे किसी भी प्रकार का भेद मत होने देना। इसी प्रकार तप आराधना, जाप अनुष्ठान कर अपनी आत्मा का कल्याण करते रहना। दोपहर 3 बजे साध्वीश्री ने लक्ष्मीबाई मार्ग स्थित पाठशाला भवन से चातुर्मास उपरांत पहला विहार किया।
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