Nagda(mpnews24)। करवा चैथ के अवसर पर अमलावदिया रोड विद्यानगर स्थित म.प्र. के एक मात्र चैथ माता मंदिर पर महाआारती का आयोजन रखा गया है।
चैथ माता मंदिर समिति प्रमुख अंजुबाला पोरवाल ने बताया कि 4 नवम्बर बुधवार को सायंकाल 6.30 बजे विद्यानगर स्थित श्री चैथ माता मंदिर पर महाआरती का आयोजन रखा गया है। श्रीमती पोवाल के मुताबिक करवा चैथ व्रत महिलाऐं अपने पति के दीर्घायु जीवन एवं घर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना को लेकर दिन भर निर्जल व्रत रखती है, शाम को चैथ माता की पूजा अर्चना कर रात चंद्रमा को अध्र्य कर पूजा अर्चना कर पति की लंबी उम्र का वर मांगती हैं। विद्यानगर स्थित श्री चैथ माता मंदिर के व्यवस्थापक एवं संचालक भूतपूर्व सैनिक डाॅ. अजयसिंह चैहान हैं।श्रीमती पोरवाल ने कहा कि कोरोना काल में शासन के निर्देशों के मुताबिक महाआरती में शामिल होने के लिये महिलाऐं सोश्य डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मास्क अवश्य पहनकर आऐ।
महाआरती का लाभ लेने का अनुरोध श्रीमती पोरवाल के अलावा जया पांडे, आशा जवेरिया, पुष्पा रघुवंशी, प्रीति जायसवाल, सोनाली गुर्जर, मीना गुर्जर, रीमा पोरवाल, प्रीति पोरवाल, नीता सेठिया, मधुबाला भारद्वाज, राखी सेठिया, वंदना पोरवाल, रानी पोरवाल, किरण राठौड, नागेश्वरी पाल, सीमा कांकरिया आदि ने किया है।
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यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे अहम व्रत माना जाता है
करवा चैथ महज एक व्रत नहीं है, यह पति-पत्नी के पावन रिश्ते को अधिक मजबूत करने वाला पर्व भी है. चंद्रमा को आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है और इनकी पूजा से वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है और पति की आयु भी लंबी होती है। करवा चैथ व्रत का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व होता है. इस दिन सुहागिन स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु और सुखी जीवन के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे अहम व्रत माना जाता है। करवा चैथ के दिन हर महिला बड़ी ही श्रद्धा भाव से शिव-पार्वती की पूजा करती है। इस दिन व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश के साथ चंद्रमा की भी पूजा करने का विधान है। यही नहीं कुंवारी लड़कियां भी मनवांछित वर के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। करवा चैथ का पावन व्रत हर साल कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन रखा जाता है और ऐसे में इस साल करवा चैथ व्रत 4 नवंबर को रखा जाएगा।
करवा चैथ व्रत नियम
यह व्रत सूर्योदय होने से पहले शुरू होता है और चांद निकलने तक रखा जाता है। चांद के दर्शन के बाद ही व्रत को खोलने का नियम है। शाम के समय चंद्रोदय से लगभग एक घंटा पहले सम्पूर्ण शिव-परिवार (शिव जी, पार्वती जी, नंदी जी, गणेश जी और कार्तिकेय जी) की पूजा की जाती है। पूजन के समय व्रती को पूर्व की ओर मुख करके बैठना चाहिए। इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पति को छलनी में दीपक रख कर देखा जाता है। इसके बाद पति जल पिलाकर पत्नी का व्रत तोड़ते हैं।
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