नागदा - उच्च न्यायालय का आदेश सिर्फ ट्यूशन फीस लें विद्यालय, लेकिन निर्धारण करेगा कौन ?



Nagda(mpnews24)।   मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने निजी स्कूलोंा की मनमानी पर लगाम लगाते हुए महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अभिभावकों को न्यायालय के फैसले से बडी राहत मिल सकती है। न्यायालय ने अभिभावकों को राहत देत हुए कोरोना खत्म होने तक निजी स्कूलों को केवल ट्यूशन फीस ही लेने का आदेश दिया है। आदेश के मुताबिक निजी स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा अन्य किसी मद में फीस नहीं वसूलेंगे। एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव व जस्टिस राजीव कुमार दुबे की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में स्कूलों के शिक्षकों सहित अन्य स्टाफ का वेतन 20 फीसदी से ज्यादा नहीं काटा जा सकेगा। न्यायालय के फैसले के बाद स्थानिय प्रशासन को ट्यूशन फीस का निर्धारण निजी विद्यालयों से करवाना चाहिए, क्योंकि निजी विद्यालय संचालक आज भी ट्यूशन फीस के स्थान पर संपूर्ण फीस वसुलने से पीछे नहीं है।


क्या है मामला
कोरोना संक्रमण के बीच निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस ली जा रही थी। इसे लेकर मार्गदर्शक मंच के डाॅ पीजी नाजपाण्डे, रजत भार्गव की और से जनहित याचिका दायर की गई। इसमें बताया गया कि हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ और जबलपुर हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने फीस वसूली को लेकर दो अलग-अलग आदेश दिए हैं। इसके चलते विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न हो गई है। कई निजी स्कूल अभी भी मनमानी फीस वसूल कर रहे हैं।

अभिभावकों को किया जा रहा मानसिक रूप से परेशान
अमूमन देखा जा रहा है कि माननीय न्यायालय द्वारा पूर्व में दिए गए अंतरिम आदेश में भी ट्यूशन फीस ही वसूलने की बात कही थी। लेकिन शहर के ही नामचिन विद्यालयों ने इसका पालन नहीं किया था। आज भी कई विद्यालय ट्यूशन फीस के नाम पर संपूर्ण फीस की वसुली कर रहे है तथा फीस नहीं भरने पर अभिभावकों को इस बात के लिए भी मजबूर कर रहे हैं कि वह लिखित आवेदन विद्यालय के नाम पर देवें कि लाॅकडाउन के चलते वह अपने बच्चों की फीस नहीं भर सकते है। इस प्रकार से लिखित आवेदन लेकर अभिभावकों को अपमानित किए जाने का कार्य भी विद्यालय संचालकों द्वारा किया जा रहा है।

फीस नहीं भरी तो फार्म की लिंक भी नहीं भेजी
अपना नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कई अभिभावकों ने कहा कि शहर के एक नामचिन विद्यालय के प्राचार्य द्वारा उनके बच्चों के बोर्ड फार्म की जानकारी प्रदान करने हेतु जो फार्म जमा किया जाना था उसकी आॅनलाईन लिंक बच्चों को भेजने से पूर्व अभिभावकों पर फीस जमा करने का दबाव बनाया गया। उनका कहना था विद्यालय द्वारा जिस तरह पूर्व में संपूर्ण फीस वसूली जाती थी उसी तर्ज पर आज भी हजारों रूपये प्रति छात्र विद्यालय में जमा करवाऐ जा रहे है। जो माननीय न्यायालय के आदेशों का खुला उल्लंघन है।

शासन निर्धारण करे ट्यूशन फीस का
मामले में प्राप्त जानकारी के अनुसार कई अभिभावकों को इस बात की जानकारी नहीं है कि ट्यूशन फीस के नाम पर विद्यालय कितनी फीस वसल सकते है ? निजी विद्यालय संचालक जो भी शुल्क बता रहे हैं वह वह काफी अधिक है। ऐसे में मात्र ट्यूशन फीस के नाम पर भी निजी विद्यालय आज भी संपूर्ण शुल्क वसुल रहे है। गत दिनों अनुविभागीय अधिकारी आशुतोष गोस्वामी द्वारा निजी विद्यालय संचालकों की बैठक आहुत कर फीस निर्धारण करने का प्रयास किया था। लेकिन बैठक में हंगामा हो जाने के बाद फीस संबंधी कोई निर्णय नहीं हो सका। स्थानिय प्रशासन एवं शिक्षा विभाग के अधिकारियों को चाहिए कि विद्यालय प्रबंधन से चर्चा कर ट्यूशन फीस कितनी होगी इसका निर्धारण कर नामचिन विद्यालयों के कक्षावार शूल्क की जानकारी को सार्वजनिक करना चाहिए। जिससे की अभिभावकों के लाॅकडाउन की परेशानियों के बीच की जा रही लूट को रोका जा सके।
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