क्या है मामला
अनुविभागीय अधिकारी नागदा आशुतोष गोस्वामी द्वारा कार्यालय आदेश क्रमांक री-2/20/1628 दिनांक 21/10/2020 को लिखित आदेश जारी करते हुए 18 अधिकारियों जिसमें तहसीलदार, नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक एवं पटवारी शामिल हैं के दो दल गठित करते हुए निर्देशित किया था कि बगैर डायवर्शन भवन निर्माण एवं कृषि भूमि पर प्लाॅटों की बिक्री किये जाने के संबंध में नियमानुसार जांच कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए थे। आदेश में यह भी कहा गया था कि उक्त जांच दल सात दिवस के भीतर प्रभारी अधिकारी को रिर्पोट प्रस्तुत करेंगे एवं प्रभारी अधिकारी विस्तृत रिर्पोट तैयार कर एसडीएम कार्यालय में प्रस्तुत करेंगें। आदेश में इस बात भी उल्लेख था कि इस कार्य को विशेष अभियान चलाकर समयसीमा में संपादित किया जाना है। लेकिन एसडीएम के निर्देशों को मातहत अधिकारी एवं राजस्व विभाग के अधिकारी घोल कर पी गए तथा न तो एसडीएम के निर्देशों का पालन हो पाया एवं ना ही जिला कलेक्टर के आदेश का।
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उज्जैन में छः पर हुई एफआईआर
नगर निगम द्वारा अवैध काॅलोनी रूप से काॅलोनी काट कर भूखंड विक्रय करने वाले 6 काॅलोनाईजरों पर कार्रवाई की गई है। निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल ने कार्रवाई के निर्देशानुसार उपंयत्री राजेन्द्र रावत द्वारा 6 काॅलोनाईजरों के विरूद्ध निगम अनुमती, काॅलोनाईजर लायसेंस एवं नगर तथा ग्राम निवेश विभाग से अनुमती प्राप्त किये बिना भूमि का व्यपवर्तन कराये बिना ही कृषि भूमि का उपविभाजन कर विक्रय पत्रों के माध्यम से भूखण्डों के रूप में विक्रय किया जाकर अवैध रूप से काॅलोनी बसाई जाने के संबंध में संबंधी थाना क्षेत्रों में एफआईआर दर्ज करवाई गई है।
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शासकीय भूमियों पर से अवैध कब्जेधारियों को हटाने में भी स्थानिय प्रशासन नाकाम
शहर में बेशकीमती शासकीय भूमियों पर रसुखदारों का कब्जा, प्रशासन की कार्रवाई कब ?
शासकीय भूमियों पर रसुखदार लोगों द्वारा किए गए अतिक्रमण को हटाने की सुध भी प्रशासन नहीं ले रहा है। महिदपुर रोड स्थित एक आलीशान माॅल के आस-पास की शासकीय भूमियों पर कई रसुखदार लोगों ने अपना कब्जा जमा लिया है, लेकिन प्रशासन द्वारा इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। वहीं जन्मेजय हायर सेकेण्डरी स्कूल के समीप की भी शासकीय भूमि पर बडे भू-माफिया का कब्जा होना बताया जा रहा है। राजस्व रिकार्ड में दर्ज सर्वे नम्बर 718/2 रकबा 0.0520, 718/1/मीन-2 रकबा 0.1700, 718/1/मीन1 रकबा 0.2480, 719/मीन-2 रकबा 0.070, 720/1/मीन-1 रकबा 0.2090, 467/1 रकबा 0.1880, 466/2 रकबा 0.0530, 466/1 रकबा 0.0100, 465/2 रकबा 0.0210, 465/1 रकबा 0.7320, 463 रकबा 0.630, 462 रकबा 0.904, 461/2 रकबा 0.420, 461/1 रकबा 0.1870, 460 रकबा 0.0730, 459/2 रकबा 0.1770, 458 रकबा 0.1360, 457/2 रकबा 0.210, 456/2 रकबा 0.0100, 456/1/2 रकबा 0.2510 की भूमियों पर भी प्रशासन को संज्ञान लेकर उक्त भूमियों को भी मुक्त करवाना चाहिए। इसी प्रकार सर्वे नं. 719/मीन-1 रकबा 0.0970, सर्वे नं. 459/1 रकबा 0.0420, सर्वे नं. 467/2/15/मीन-3 रकबा 0.0120, सर्वे नं. 467/2/2 रकबा 0.0120 पर भी संशय के बादल छाये हुए है। जानकारों का कहना है कि उक्त सर्वे नम्बरों के 40-50 वर्षो पूर्व के दस्तावेजों को भी प्रशासन को खंगालना चाहिए।
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आरआई एवं पटवारियों की बल्ले-बल्ले
इस पुरी जांच कार्रवाई को पलीता लगाने में भी राजस्व विभाग के अधिकारी ही जुटे हुए है। यहाॅं पदस्थ आरआई एवं पटवारी स्तर अधिकारी, कर्मचारियों द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश के बावजुद कार्रवाई को अंजाम नहीं देना आखिर क्या दर्शाता है। बताया जाता है कि यह बडे भूमाफियाओं के लगातार संपर्क में है तथा बचाव के रास्ते बताने में भी पीछे नहीं है। श्रीराम काॅलोनी में स्थित उनके कार्यालयों पर सुबह से लेकर शाम तक भू-माफियाओं का डेरा देखा जा सकता है। ऐसे में अवैध काॅलोनाईजरों पर कार्रवाई होती हुई दिखाई तो नहीं दे रही है।
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