श्री चैपडा ने प्रेषित ज्ञापन के साथ उच्च न्यायालय के निर्णय की छायाप्रति उपलब्ध करवाते हुए मांग की है कि जिलाधीश के आदेश पर नगर पालिका अधिनियम के अंतर्गत विभिन्न आरोपीयों के विरूद्ध प्रकरण दर्ज किये हैं। उन्होंने ज्ञापन में कहा है कि अवैध काॅलोनियों की बसाहट के दौरान वहाॅं विभिन्न निर्माण कार्य, नगर पालिका के नामांतरण आदि ततकालीन अधिकारियों की उपस्थिति में ही हुए जिसकी संपूर्ण जानकारी ततसमय क्षेत्र में पदस्थ अधिकारियों को भली-भांति थी, ऐसे में उक्त अधिकारियों को उसी समय इन आरोपीयों पर अपराधिक प्रकरण दर्ज करवाने थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। चैपडा ने कहा कि ततकालीन अधिकारियों की सांठगांठ से ही क्षेत्र में इतनी अधिक अवैध काॅलोनियाॅं काट दी गई तथा आरोपियों को संरक्षण दिया गया जो कि एक गंभीर अपराध है। चैपडा ने माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर की डबल बैंच द्वारा 3 जून 2019 को याचिका क्र. डब्ल्यू.पी. 10414/2018 उमेश कुमार बोहरे विरूद्ध मध्यप्रदेश शासन में पारित निर्णय को दृष्टिगत रखते हुए अवैध कॉलोनियों को बसाने के दौरान जिम्मेदारों अफसरों के खिलाफ भी निगम की धारा 292(ई) के तहत कार्रवाई की बात कही है। बता दें कि 8 मई 2018 को प्रदेश भर की अवैध कॉलोनियों के नियमितीकरण का काम की शुरूआत ततकालीन एवं वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने ग्वालियर से ही की थी।
तो क्या वर्ष 1990 से अब तक के अधिकारियों पर होगी कार्रवाई ?
श्री चैपडा द्वारा ज्ञापन प्रस्तुत करने के बाद यह प्रश्न भी उठ खडा हुआ है कि जब प्रशासन ने वर्ष 1990 एवं इससे पूर्व भी काटे गए भूखण्डों पर कार्रवाई की है तो क्या ततसमय पदस्थ रहे अधिकारियों से लेकर वर्तमान समय तक के अधिकारियों पर भी उक्त फैसले के तहत कार्रवाई होगी। वैसे अवैध कार्यो को बढावा भी प्रशासनिक अधिकारियों के प्रशय के चलते ही मिलता है तथा अवैध काॅलोनियों की इतनी बडी संख्या में बसाहट इसका प्रमुख उदाहरण है।
अधिकारियों को सहआरोपी नहीं बनाया तो मामला जाऐगा न्यायालय एवं विधानसभा
सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि श्री चैपडा पक्ष एवं विपक्ष के बहुत सारे विधायकों के सम्पर्क में यदि इस गंभीर मामले में शासन अधिकारियों को सहआरोपी बनाने के साथ न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करवाता है तो यह लडाई उच्च न्यायालय तथा विधानसभा तक भी पहुॅंच सकती है।
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महिलाओं को आरोपी बनाऐ जाने से समाज में नाराजगी
महामहिम राज्यपाल के हाथों सम्मानित समाजसेवी मनोज राठी की पत्नि को इस मामले में घसीटने के साथ उन्हें एक प्रकरण में आरोपी बना देना से नगर की जनता खुश नहीं है। नागरिकों में इसकी विपरित प्रतिक्रिया भी सुनने को मिल रही है। कुछ दिनो पूर्व ही खाद्य विभाग की कार्रवाई के दौरान भी नगर के एक प्रतिष्ठित व्यापारी की पत्नि को आरोपी बनाकर जेल भेज दिया जाना भी लोगों के साथ समाजजनोें की नाराजगी का कारण बना था। नागरिकों का कहना है कि अवैध मामलों में प्रशासन निष्पक्ष कार्रवाई करे महिलाओं पर इस तरह की कार्रवाई नहीं होना चाहिए।
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