Nagda(mpnews24) - गणतंत्र दिवस के अवसर पर ग्राम भाखेड़ा में ‘एक शाम शहीदो के नाम‘ का सरस कवि सम्मेलन सम्पन्न हुआ। कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि कु. नायबउद्दीन कुरैशी, विशिष्ट अतिथि आत्माराम पटेल एवं ज्ञानेन्द्रसिंह डोडिया थें । अध्यक्षता जसवंतसिंहजी ने की। कवि सम्मेलन के संयोजक मुकेश धानक ने गांव के लगभग 30 वरिष्ठजनो एवं कवियों को साफा पहनाकर सम्मानित किया।
कवि सम्मेलन की शुरूआत निशा उज्जैनी की सरस्वती वंदना से हुई। संचालक करते हुए सुन्दरलाल जोशी ‘सूरज‘ नागदा ने जब ये पंक्तियाँ पढ़ी तो श्रोता झूम उठे-
सैनिको से सीख ले प्यारे, देश भक्ति क्या होती है।
होते है वे शहीद तो, भारत माँ भी रोती है।
कमलेश दवे इन्दौर ने जब ये पंक्तियाँ पढ़ी तो दूर-दूर तक तालियाँ बजने लगी-
वीरो का बलिदान सदा याद रहे, यह गुलशन सारा आबाद रहे।
हम रहे न रहे ए ईश्वर,
हमारा हिन्दुस्तान जिंदाबाद रहे।
कैलाश सोनी ‘सार्थक‘ उज्जैन ने गीतों से समां बांध दिया ये पंक्तियाँ खूब सराही गई।
शिल्प विधा की निधि पाऊँ माँ , मन का रोशनदान खोल दे।
मृदुल, मिठास, भरे शब्दों की, कानों में रसधार घोल दें।
वीर रस के कवि सुग्रीव गोरखपुरी ने कवि सम्मेलन में देशभक्ति की रचना का पाठ किया। रतलाम के कवि श्रीराम शर्मा ने श्रोताओं को खूब हँसाया। शकुर मंसूरी उन्हेल ने गजलों से वाह वाही लुटी। ताज मोहम्मद ने अतिथियों का स्वागत किया। आभार मुकेश धानक ने माना।
कवि सम्मेलन की शुरूआत निशा उज्जैनी की सरस्वती वंदना से हुई। संचालक करते हुए सुन्दरलाल जोशी ‘सूरज‘ नागदा ने जब ये पंक्तियाँ पढ़ी तो श्रोता झूम उठे-
सैनिको से सीख ले प्यारे, देश भक्ति क्या होती है।
होते है वे शहीद तो, भारत माँ भी रोती है।
कमलेश दवे इन्दौर ने जब ये पंक्तियाँ पढ़ी तो दूर-दूर तक तालियाँ बजने लगी-
वीरो का बलिदान सदा याद रहे, यह गुलशन सारा आबाद रहे।
हम रहे न रहे ए ईश्वर,
हमारा हिन्दुस्तान जिंदाबाद रहे।
कैलाश सोनी ‘सार्थक‘ उज्जैन ने गीतों से समां बांध दिया ये पंक्तियाँ खूब सराही गई।
शिल्प विधा की निधि पाऊँ माँ , मन का रोशनदान खोल दे।
मृदुल, मिठास, भरे शब्दों की, कानों में रसधार घोल दें।
वीर रस के कवि सुग्रीव गोरखपुरी ने कवि सम्मेलन में देशभक्ति की रचना का पाठ किया। रतलाम के कवि श्रीराम शर्मा ने श्रोताओं को खूब हँसाया। शकुर मंसूरी उन्हेल ने गजलों से वाह वाही लुटी। ताज मोहम्मद ने अतिथियों का स्वागत किया। आभार मुकेश धानक ने माना।
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