चार वर्षो में 950 संशोधन सरकार ने कर दिए
व्यापारियों ने शहर बंद कर प्रेषित ज्ञापन में कहा कि पुरे लॉकडाउन में व्यापारी जगत पहले से ही बहुत परेशान हो चुका है। बीते 4 वर्षो में जीएसटी में करीब 950 संशोधन लाए गए है। कोई भी संशोधन लाने से पहले व्यापारियों से किसी ने कोई बातचीत नहीं की और न ही जीएसटी को लेकर व्यापारियों की परेशानियों को जानने का कोई प्रयास ही सरकार द्वारा किया गया। प्रत्येक दिन एक नया प्रावधान लागू कर दिया जाता है जिसकी पालन करना व्यापारियों के लिए बेहद मुश्किल भरा है। व्यापारी को अनेक प्रकार के कानून का पालन करने वाली मशीन बना दिया है।
ज्ञापन में दिए यह सुझाव
शहर के समस्त व्यापारियों ने केन्द्र सरकार के विरोध में अपना व्यापार-व्यवसाय बंद रखकर ज्ञापन देते हुए निम्न सुझाव प्रेषित किए जिसमें प्रमुख रूप से अगर व्यापारी ने जीएसटीआर-1 में अपनी लायबिलीटी दिखा दी और जीएसटीआर-3 बी में उसको नहीं लिया तो डिपार्टमेन्ट बिना नोटिस दिए डिफरेंस अमाउंट की वसूली कर सकता है और यह वसूली व्यापारी के बैंक अकाउंट अटैच करके या व्यापारी के किसी भी देनदार से रिकवरी कर सकते है। अगर व्यापारी 2 महीने का जीएसटीआर-2 बी फाईल नहीं करते है तो वे ई वे बिल नहीं बना सकते है। अगर व्यापारी किसी भी कारण से रिटर्न फाईल नहीं कर पाते है तो डिपार्टमेंट सेक्शन 73 के अंदर व्यापारी को नोटिस दे सकता है। अगर व्यापारी के जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-3 बी में डिफरेंस पाया जाता है तो डिपार्टमेन्ट बिना नोटिस या सुनवाई के व्यापारी का जीएसटी रजिस्ट्रेशन नंबर सस्पेंड कर सकता है। ई वे बिल की वैलिडिटी प्रतिदिन 100 किमी से 200 किमी कर दी गई है जो कि संभव नहीं है। यदि व्यापारी ने गलती से कोई गलत इनपुट क्रेडिट ले लिया है तो उसका बैंक खाता सीज हो जायेगा। अधिकारी अपने खुद के विवेक के आधार पर किसी का भी सर्वे या ऑडिट कर सकते है।
इंस्पेक्टर राज ला रही केन्द्र सरकार
व्यापारियों ने कहा कि नवीन प्रावधानों से एक बार फिर इंस्पेक्टर राज चालु हो जाऐगा। साथ ही 4 साल हो गये है पर अभी तक अपीलेट ट्रिब्यूनल गठित नहीं हुआ है जिसकी वजह से हर छोटे केस के लिए व्यापारी को हाईकोर्ट जाना पड़ रहा है। जीएसटी के कुछ ऑफिसर देश भर में व्यापारियों को बुरी तरह से प्रताड़ित करते है और बिना सुनवाई के व्यापारियों से जबरदस्ती विभाग में ढेर पैसा भरवाते है। यदि व्यापारी का इनपूट जमा है तो उसका रिफण्ड दिया जाने का प्रावधान होना चाहिये। यदि व्यापारी ने रिटर्न लेट भरी गई जो निल रिटर्न होने के बाद भी लेट फी टैक्स से ज्यादा लगाई जाती है। हर बात के लिये पेनेल्टी का प्रावधान भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगा। ऐसे और कई अनेक प्रावधान है जिनका पालन करना लोहे के चने चबाना है। ज्ञापन देकर कैट द्वारा दिये गये संशोधनो पर विचार कर उन्हें मान्य करने की मांग नगर के समस्त व्यापारीगण ने की। ज्ञापन का वाचन सचिव रमेश मोहता ने किया एवं आभार महासंघ अध्यक्ष विरेन्द्र जैन बिन्दु ने माना।
यह थे उपस्थित
इस मौके पर दिनेश अग्रवाल, हनुमानप्रसाद शर्मा, दिलीप कांठेड़, सज्जनसिंह शेखावत, गोपाल मोहता, मनोज राठी, जगदीश मेहता, सजन बंका, महेन्द्र राठौड, दीपक जैन, अन्नु शर्मा, किशोर सेठिया, सुशील सकलेचा, अतुल छोरिया, राजेश पोरवाल, प्रेम पोरवाल, सुभाष गेलड़ा, ब्रजमोहन टाक, पुखराज जैन, राजेश सेठिया, प्रकाश ओरा, विकास पोरवाल, दिलीप सोनगरा, दीपक पोरवाल, अंशुल पोरवाल, कमलेश पंवार, अमित जैन, अजय मुरड़िया, जोगेन्द्रसिंह नारंग, पंकज कामरिया, शुभम चैधरी, अशोक कोलन, गोविन्द मोहता, नरेन्द्र राठी, धनसुख गेलड़ा, मुस्तफा भाई, घनश्याम राठी, बाबुलाल धनोतिया, कमलेश नागदा, गणेश अरोडा, द्वारका प्रसाद, महेन्द्र, निलेश जैन, नरेन्द्र रघुवंशी, विमल अरोडा, लोकुमल खत्री, टीटी पोरवाल, रमेश पाल, बंशी पोरवाल, सुरेन्द्र राठी, अनिल पोरवाल सहित कई व्यापारीगण उपस्थित थे।
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किसानों के बंद की मुखालफत की थी नागदा व्यापारी संघ ने
शुक्रवार को नागदा बंद करने वाले व्यापारीयों ने बीते दिनों देश के किसानों के आव्हान पर बुलाऐ गए भारत बंद का विरोध किया था। मामले में क्षेत्र के अनेक किसानों ने कहा कि नागदा व्यापारी संघ के दिनेश अग्रवाल जो कि पूर्व विधायक के समर्थक माने जाते हैं ने खुलेआम किसानों के बंद की मुखालफत यह कहते हुए करी थी कि कोरोना के चलते व्यापारियों का काफी नुकसान हुआ है, ऐसे में परिवार चलाने के लिए वह बंद नहीं करेंगे। कृषकों का कहना है कि किसानों का समर्थन नहीं करने वाले व्यापारी आज अपने पर आई तो शहर बंद करवाने आ गए।
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