क्या है मामला
केन्द्र सरकार द्वारा पेट्रोलियम पदार्थो जिसमें पेट्रोल-डीजल पर बेतहाशा मुल्य वृद्धि कर दी गई है। कोरोना महामारी के नाम पर केन्द्र सरकार अपना खर्चा चलाने के लिए लगातार जनता के कंधे पर बोझ डाल रही है। अच्छे दिनों के नारे के साथ बनी सरकार ने नागरिकों को हर चिज महंगी करके लगभग कमर तोडने का काम किया है। ऐसे में नागरिकों की स्थिति दिन-प्रतिदिन आर्थिक रूप से कमजोर होती जा रही है। आलम यह है कि जनवरी-फरवरी में 700 रूपये में मिलने वाला घरेलु गैस सिलेण्डर वर्तमान में 879 रूपये में लेना पड रहा है। विगत तीन माह में ही गैस की कीमतों में 100-150 रूपये का इजाफा हो गया है। जिसके चलते मध्यमवर्गीय परिवारों का आर्थिक गणित बिगड गया है तथा अन्य सामान में कटौती कर गैस सिलेण्डर लेने पर मजबूर होना पड रहा है। वह दिन दूर नहीं जब 1000 से भी ज्यादा में गैस सिलेण्डर उपलब्ध होगा। ऐसे में सरकार की नीतियों का बोझ आम जनता को सहना पड रहा है।
कैसे बढ रहे दाम
मामले में प्राप्त जानकारी के अनुसार 24 जनवरी को घरेलु गैस सिलेण्डर के दाम 754 रूपये 50 पैसे थे जो 23 फरवरी को बढकर 829.50 रूपये हो गए थे वहीं 27 मार्च को पुनः बढकर 879 रूपये से अधिक हो गए है। ऐसे में विगत तीन माह में घरेलु गैस सिलेण्डर पर 125 रूपये की मूल्य वृद्धि सरकार द्वारा कर दी गई है। सरकार द्वारा गैस सिलेण्डर के दामों में मूल्यवृद्धि भी ऐेसे समय की जा रही है जब हर कोई नागरिक जिसमें मध्यमवर्गीय एवं गरीब वर्ग के लोग महामारी की मार झेल रहे है तथा बीते एक वर्ष में लाॅकडाउन तक झेला है। बावजुद इसके सरकार का सिर्फ अपनी कमाई वाला चेहरा आम इंसान को अब डराने लगा है।
सब्सीडी भी लगभग खत्म
एक समय था 500-600 के गैस सिलेण्डर पर सरकार द्वारा 150-200 रूपये तक की सब्सीडी दी जाती थी। लेकिन वर्तमान में 879 रूपये के गैस सिलेण्डर पर मात्र 20-30 रूपये की सब्सीडी सरकार द्वारा उपभोक्ताओं को दी जा रही है। चोर दरवाजे से जनता को दी जाने वाली सारी सब्सीडी को बंद कर दिया गया। सरकार हर दिशा में सिर्फ कमाई करने के उद्देश्य से कार्य कर रही है। सरकारी कम्पनियों को बेचने से लेकर आम नागरिकों पर सिर्फ बोझ ही डाला गया है। हाॅं यह बात उलट है कि 4000 करोड का विमान माननीयों के आने-जाने के लिए जरूर मंगवाया गया है। जो कि जनता के साथ सरकार का दोहरा रवैया है। सरकार को चाहिए कि जनप्रतिनिधियों के खर्चो में कटौती कर आम नागरिकों की जरूरत की वस्तुओं को सस्ता किया जाना चाहिए।
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