यह मांग करते हुए विधायक दिलीपसिंह गुर्जर ने बताया कि एक तरफ तो मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों के गेहूॅं समर्थन मूल्य पर क्रय करने हेतू क्षैत्र में गेहूॅं उपार्जन केन्द्रों का विकेन्द्रीकरण कर किसानों को कम दुरी तय करना पडे तथा तत्काल कम समय में तुलाई हो इस लिए बनाए गये थे। परंतु शासन द्वारा उपार्जन केन्द्रों की बजाय सायलो केन्द्र झिरमिरा व बोरखेडा पित्रामल में गेहूॅं विक्रय करने के निर्देश प्रदान किए है साथ ही एक सप्ताह में सिर्फ पांच दिन सोम से शुक्रवार तक (5 दिवस) गेहूॅं खरीदी सायलो पर ही किये जाने के निर्देश है।
सायलो केन्द्र तक पहुॅंचने में किसानों को करना पड रहा अत्यधिक व्यय
श्री गुर्जर ने कहा कि सायलो केन्द्रों पर तुलाने पर पूर्व में खरीदी केन्द्रों से गेहूॅं परिवहन करने पर शासन को ट्रक का भाडा, बारदान, खाली व भराई की हम्माली देना पडती थी जिससे सरकार को करोडों रूपये की बचत होगी परंतु इसके विपरित अधिक दुरी तय करने पर ट्रैक्टर किराया, डीजल का खर्च किसानों पर आवश्यक भार के रूप में पडेगा इसलिए शासन को चाहिए कि वो किसानों के ट्रैक्टर का भाडा या सायलो में तोलने वाले गेहूॅं के मुल्य में बढोतरी करें जिससे किसान आर्थिक भार से बच सके।
वाहन किराया संबंधित संस्था से भुगतान करने की व्यवस्था किसान हित में की जाए
जिन-जिन सेवा सहकारी संस्थाओं को सायलों से जोडा या सम्मिलित किया है उन किसानों को जिनके पास निजी वाहन, ट्रैक्टर नहीं है वे किराये के वाहन से गेहूॅं सायलो पर तुलाने ले जाएगें उन किसानों को वाहन किराया संबंधित सेवा सहकारी संस्था से भुगतान करने की व्यवस्था किसान हित में की जाना चाहिए। वहीं शासन की गाइडलाईन (नियम) है कि सायलो अधिकतम 20 कि.मी. से अधिक की दूरी पर न बनाया जाए लेकिन क्षैत्र के कई गांव सायलो (झिरमिरा या बोरखेडा पित्रामल) से 25 व 30 कि.मी. दुरस्थ गांवों को भी सायलों में सम्मिलित किए जाने से क्षैत्र के दर्जनों गांव शासन की निर्धारित गाइडलाईन से विपरित इसमें शामिल किए गए है इससे किसानों को सुविधा की बजाय काफी असुविधा व आर्थिक परेशानियों का सामना करना पडेगा जिसमें प्रमुख रूप से सेवा सहकारी संस्था नरसिंहगढ, कमठाना, बैरछा, भाटीसुडा जो अधिक दुरी पर है इन्हें यथावत रखा जाना चाहिए।
शासन द्वारा जो सायलो कम्पनी से एग्रीमेन्ट किया गया है जिसमें क्षमता अनुसार भरने की गारंटी ली गई है जिससे बचत तो सरकार की हो रही है किसानों का समय तो बचेगा परंतु आर्थिक मार किसानों पर पडेगी सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।
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