Nagda(mpnews24)। चंबल तट स्थित मुक्तेश्वर महादेव मंदिर पर पारम्परिक रूप से वर्षो से आयोजित किया जा रहा सात दिवसीय महाशिवरात्रि मेले का आयोजन इस वर्ष न होना नागरिकों की विपरित प्रतिक्रियाओं के साथ चर्चाओं में अन्य बातों को लेकर भी छाया हुआ है। गत वर्ष प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के रहते यहाॅं कांग्रेस पक्ष के विधायक एवं स्थानिय नेताओं ने जब मेले का ऐतिहासिक आयोजन किया था तब इस कार्यक्रम में इससे पूर्व बरती गई कई धांधलियाॅं भी उजागर हुई थी। कांग्रेस की सरकार के गठन से पहले प्रदेश में वर्ष 2003 से लेकर 2018 तक भारतीय जनता पार्टी की सरकार विद्यमान थी।
नगर सरकार को भी लम्बे समय से भारतीय जनता पार्टी का बोर्ड ही चला रहा था। उन्हीं के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में इस पारम्परिक मेले का आयोजन किया जा रहा था। लेकिन आयोजन में हुए खर्चो में हुई अनियमितताओं को गत वर्ष जब कांग्रेस नेताओं ने जनता के बीच उजागर किया तो नागरिकों के बीच धर्म के नाम पर प्रोपोगंडा करने वाली भारतीय जनता पार्टी एवं उनके नेताओं के कार्यो की आलोचना भी हुई थी। इस वर्ष वापस प्रदेश्ज्ञ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के काबिज होने के बाद स्थानिय स्तर पर नगर पालिका में नपा चुनाव न हो पाने के कारण जब भाजपा इस तरह आयोजनों से दूर हो गई तो पार्टी के नेताओं ने भी परम्परागत रूप से चले आ रहे इस बडे आयोजन को लेकर कोई रूची नहीं दिखाई। दुसरी तरफ चर्चा यह भी रही कि मेले के आयोजन से होने वाली कमाई से दूर हो जाने तथा भुगतान आदि को लेकर होने वाली धांधलियों को कांग्रेस द्वारा प्रमुखता से उजागर करने के डर से यहाॅं शिवरात्रि मेले का आयोजन भाजपा द्वारा नहीं किया जा सका।
नगर पालिका में प्रशासक के रूप में प्रशासनिक अधिकारी पदस्थ होकर कार्य कर रहे हैं। प्रशासन चाहता तो यहाॅं मेले का आयोजन दीर्घ स्वरूप में न किया जाकर लघु रूप में भी किया जा सकता था जिससे लोगों की श्रृद्धा भक्ति एवं भावना इस आयोजन को लेकर बनी रहती तथा परम्परा भी नहीं टूटती। प्रशासन ने कोरोना महामारी का हवाला देकर इस आयोजन से पल्ला झाड लिया जबकि देश एवं प्रदेश में कोरोना महामारी के बावजुद चुनावों का दौर चल रहा है। प्रमुख दलों के नेतागण चुनावी सभाओं का आयोजन कर रहे हैं, उन सभाओं में लाखों की तादात में कार्यकर्ताओं व लोगों की भीड भी उमड रही है। चुनावी सभाओं में कोरोना बेअसर होने तथा धार्मिक आयोजनों में कोरोना फैलने का डर प्रशासन एवं राजनीतिक दलों का दोहरा चरित्र उजागर कर रहा है। नागरिकों के गले भी कोरोना के नाम पर फैलाया गया डर गले नहीं उतर रहा है।
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