क्या है मामला
बीते कुछ वर्षो में शहर का विकास काफी तेज रफतार से हुआ है। आगामी दिनों शहर जिला मुख्यालय बनने की और अग्रसर हो रहा है। ऐसे में शहर में व्यवसायिक गतिविधियाॅं काफी तेजी से बढी है तथा बडे-बडे काॅम्पलेक्स आदि का निर्माण भी शहर के मुख्य मार्गो पर हो रहा है। लेकिन शहर में तेजी से बन रहे व्यवसायिक काॅम्पलेक्स में नगर तथा ग्राम निवेश तथा नगर पालिका के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। शहर में विगत समय में बने किसी भी काॅम्पलेक्स में न तो समुचित पार्कींग की व्यवस्था है और ना ही मूलभूत सुविधाऐं जिसमें शुद्ध पीने का पानी उपलब्ध होना, दो से अधिक मंजील हो तो न तो लिफ्ट है और ना ही हवादार चढाव। काॅम्पलेक्स के निर्माणकर्ताओं द्वारा सिर्फ अपना लाभ देखते हुए व्यवसायिक दुकानों का निर्माण ज्यादा से ज्यादा किया गया है। इतना ही नहीं इन काॅम्पलेक्स में मातृशक्ति की सुरक्षा हेतु भी कोई इंतजाम नहीं है। किसी भी काॅम्पलेक्स में न तो सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और ना ही सुरक्षा के अन्य इंतजाम। फायर एवं सेफ्टी नियमों की भी जमकर अनदेखी इन व्यवसायिक काॅम्पलेक्स में देखी जा सकती हैै। ऐसे में स्थानिय प्रशासन एवं नगर पालिका के तकनिकी अमले को इस दिशा में जल्द ही कदम उठाना होंगे।
राष्ट्रीयकृत बैंकों के सामने लगती है वाहनों की कतारेें
शहर में जिन स्थानों पर राष्ट्रीयकृत बैंक संचालित होती है वहाॅं का आलम भी अमूमन कुछ ऐसा ही है। जवाहर मार्ग पर स्थित भारतीय स्टेट बैंक, बेंक आॅफ इंडिया, यूको बैंक, सेंट्रल बैंक के अलावा आईसीआईसीआई बैंक, आईडीबीआई, उज्जीवन आदि में किसी भी बैंक परिसर के सामने पार्कींग की कोई व्यवस्था नहीं है। उक्त सभी बैंक निजी व्यवसायिक स्थल पर किराये पर संचालित होती है लेकिन किसी भी व्यवसायिक स्थल के मालिक ने पार्कींग आदि की व्यवस्था नहीं की। जिसके चलते आये दिन शहर में दुपहिया, चार पहिया वाहनों का अंबार लगा हुआ दिखाई देता है। इसी मार्ग पर कई काॅम्पलेक्स बने हुए है जहाॅं पर भी पार्कींग आदि की व्यवस्था नहीं होने से विवाद की स्थिति निर्मित होती रहती है। जिसके चलते दुर्घटनाओं का अंदेशा भी बढ रहा है। ऐसे में स्थानिय प्रशासन एवं नगर पालिका को ऐसे व्यवसायिक स्थलों पर पार्कींग आदि की व्यवस्था करवाने के प्रति सजग होना होगा।
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