नागदा - घटते रोजगार और बढती बेरोजगारी से शहर हो रहा प्रभावित, व्यवसाय भी मंदा



Nagda(mpnews24)।  एशिया में अपनी साख रखने वाले नागदा स्थित ग्रेसिम स्टेपल फायबर डिविजन, केमिकल डिविजन के साथ-साथ अंतराष्ट्रीय कंपनी लैंक्सेस एवं गुलब्रेन्डसन जैसे उद्योग शहर में होने के बावजुद वर्तमान समय में शहर बेरोजगारी के गंभीर दौर से गुजर रहा है। पहले नोटबंदी तथा उसके बाद आई कोरोना महामारी ने उद्योगों में कार्यरत श्रमिकों के साथ-साथ व्यवसाईयों की कमर तोड कर रख दी है। आलम यह है कि शहर इन दिनों बेरोजगारों की एक बडी फौज घुम रही है, लेकिन स्थानिय स्तर पर न तो रोजगार उपलब्ध है और ना ही शहर का व्यापार-व्यवसाय अच्छा चल रहा है। ऐसे में आने वाले समय में क्षेत्र के नागरिकों को गंभीर चुनौतीयों का सामना करना पड सकता है।

नोटबंदी ने अर्थ व्यवस्था को किया चैपट
शासन की नीतियों का असर देश की अर्थव्यवस्था पर किस कदर पडता है इसका उदाहरण नोटबंदी है। बिना तैयारी के की गई नोटबंदी ने आम नागरिकों को काफी प्रभावित किया। जहाॅं क्षेत्र के नागरिकों को अपने सारे कार्यो को छोड कर बैंकों की लम्बी-लम्बी लाईनों में लगना पडा वहीं देश की महिलाओं ने अपनी संचित निधि को भी खो दिया। नोटबंदी ने क्षेत्र के व्यापार को भी खासा प्रभावित किया क्योंकि उस दौर में सामान खरीदी से लेकर विक्रय करने हेतु रूपयों का काफी अभाव हो गया था। ऐसे में नोटबंदी से उबरने में महिनों लग गए। जिसका खामियाजा क्षेत्र की जनता को उठाना पडा।

कोरोना महामारी ने बढा दी मुश्किलें
मार्च 2020 में देश ने कोरोना महामारी का सामना किया। क्षेत्र में महामारी का काफी प्रभाव पडा तथा लाॅकडाउन ने तो एक तरह से आम आदमी की कमर ही तोड कर रख दी। लगातार महिनों तक चले लाॅकडाउन में नागरिकों की संचित निधि पुरी तरह से समाप्ती की और पहुॅच गई। लाॅकडाउन के कारण जहाॅं उद्योग, धंधे काफी प्रभावित हुए वहीं स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी काफी खर्च नागरिकों को करना पडा। महामारी के दौर में न तो रोजगार मिला और ना ही व्यवसाय चला। ऐसे में हजारों पैकेट भोजन के प्रतिदिन शहर में वितरित होते थे जिससे जरूरमंदों ने अपना पेट भरा। लेकिन कुछ माह पूर्व लग रहा था कि महामारी का दौर खत्म हो जाऐगा वैसे ही बिमारी ने एक बार फिर अपनी जडे जमाना प्रारंभ कर दिया है। ऐसे में आगामी दिनों में फिर बिमारी का भय नागरिकों को सताने लगा है।

कोविड खा गया हजारों नौकरियाॅ।
कोविड महामारी के दौर में एक जुमला सबसे अधिक सुनाई दिया ’आपदा में अवसर’ क्षेत्र में कई लोगों ने इस बिमारी के दौर में आपदा में अवसर ढूंढ लिए इसमें बडे-बडे संस्थान भी पीछे नहीं रहे। ग्रेसिम उद्योग ने जहाॅं आपदा के इस मुश्किल दौर में 2500 से अधिक ठेका श्रमिकों को पुनः कार्य पर रखने इस इन्कार कर दिया वहीं क्षेत्र में संचालित उद्योगों में भी अमूमन कुछ इसी प्रकार का हाल हुआ। आलम यह है कि आज 5000 श्रमिक अन्य स्थानों पर कम राशि में काम करने पर मजबूर हैं तथा कुछ तो मजदूरी, हम्माली आदि करने पर भी मजबूर हो रहे है। लाॅकडाउन के दौरान श्रमिकों ने अपनी संचित निधि को भी इस आस में परिवार पर खर्च कर दिया कि बिमारी चले जाने के बाद उद्योग में कार्य कर फिर कमा लेंगे। लेकिन न तु मिला और ना ही विसाले सनम कुछ इसी तर्ज पर अब श्रमिकों की जिन्दगी चल रही है।

मंदी के दौर में व्यापारी परेशान
कोरोना महामारी के पूर्व शहर के बाजार नोटबंदी से उबर कर गुलजार रहा करते थे। रविवार का हाट बाजार तो शहर का काफी प्रसिद्ध था। लेकिन कोविड लाॅकडाउन के बाद बंद रेलों, उद्योगों में श्रमिकों की नौकरी जाने तथा हजारों लोगों का व्यवसाय बंद हो जाने का असर क्षेत्र में भी दिखाई दे रहा है। अनलाॅक के बाद कभी भी हाट बाजार में वह स्थिति नहीं दिखी जो पूर्व में दिखा करती थी। वहीं एक बार फिर प्रशासन ने बिमारी का भय दिखा कर सख्ती करना प्रारंभ कर दी है। जिसके चलते आगामी त्यौहारों की रौनक भी फीकी हो जाऐगी तथा व्यापार-व्यवसाय भी ठप्प हो जाऐगा।
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