आपदा में परोपकार कर रहे सिक्ख युवक, कहते गुरूजी ने यही सिखाया
कोरोना महामारी में कुछ लोग आपदा में अवसर खोज रहे है तो कुछ लोग मानव जीवन को बचाने में सर्वस्व न्यौछावर करने में जुटे हुए है। शहर में ऑक्सीजन के आपूर्ति स्थानीय उद्योगों से हो सकती है लेकिन अभी इस बिन्दु पर कोई पहल नहीं की गई, जिसके कारण शहर सहित आसपास ग्रामीणों को मेडिकल आक्सीजन के लिए परेशान होना पड़ रहा है।
शहर के दो युवक मंनिदर सलुजा और मंजीत सलूजा निःशुल्क ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराने में महती भूमिका अदा कर रहे है। जिसके कारण शहर सहित आसपास ग्रामीण क्षेत्र मंदसौर, बडनगर, जावरा, उज्जैन एवं नीमच के लोगों को लाभ मिल रहा है। बीती रात मनदीप इंडस्ट्रीज के भगतपुरी स्थित प्लांट में रात्रि लगभग 11 बजे 200 से लोग आक्सीजन सिलेंडर रिफलिंग कराने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। रास्ते में ऑक्सीजन सिलेंडर के टैंकर में तकनीकी खराबी आ जाने के कारण अलसुबह लगभग चार बजे टैंकर प्लांट पर पहुंचा। इस दौरान तहसीलदार आशीष खरे स्वयं मौके पर मौजूद रहे और लोगों की पीड़ा को सुना। सुबह चार बजे टैंकर के प्लांट में पहुंचने के बाद मंनिदर और मंजीत ने 200 व्यक्तियों को निःशुल्क ऑक्सीजन सिलेंडर रिफील किए। पर्दे के पीछे एक ओर व्यक्ति कमल गोखले जो आज तक कभी सामने नहीं आया, वह व्यक्ति दोनों भाईयों को ऑक्सीजन टैंकर भरवाने के लिए कभी गुजरात तो कभी महाराष्ट्र या फिर उड़ीसा में 15 दिनों तक डेरा डाले रखता है। उन्हेल के एक व्यक्ति ने भगतपुरी प्लांट में पहुंचकर फेसबुक पर रात्रि लगभग रात तीन बजे लाईव वीडियो चलाकर सबको बता दिया कि मानवता के प्रति सलुजा परिवार कितना समर्पित है। लघु उद्योगपति मंनिदर और मंजीत ने बताया कि पिता हरभजनसिंह सलुजा की प्ररेणा से बीमार व्यक्ति को निः शुक्ल ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराने का सफर लगभग 50 वर्षो से जारी है इसके अलावा शहर में आयोजित होने वालें भंडारे में निः शुल्क कोयला व अन्य सामग्री उपलब्ध करा रहे है।
सवा छह लाख रुपए की ऑक्सीजन मात्र एक घंटे में बंट गई
टैंकर क्रमांक जीजे-38-0470 उड़ीसा से सात दिनों का सफर तय करके बीती रात लगभग 3 बजे नागदा के समीपस्थ भगतपुरी प्लांट में पहुंचा। मंनिदर ने बताया कि मेडिकल ऑक्सीजन के लिए पहले टैंकर जामनगर भेजा, यहां सफलता नहीं मिली तो बड़ौदा, बिलाई और आखिरी में उड़ीसा भेजा गया। लगभग 10 हजार किमी का सफर वाहन चालक ने दिन-रात टैंकर चलाकर तय किया। जिसमें लगभग 1 लाख 25 हजार रुपए का डीजल खर्च, 5 लाख रुपए की मेडिकल आक्सीजन भरवाई खर्च आया। ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए अब कोई भी कंपनी नया अकाउंट नहीं खोल रही है वहीं जहां से पम्परागत आक्सीजन टैंकर भरवा रहे है उनकी सांस फुलने लगी है। सलुजा ने बताया कि अस्पताल में ऑक्सीजन का व्यवसायिक उपयोग करने वालों से नाममात्र का शुल्क लिया जा रहे है जबकि आम नागरिकों को निः शुल्क मेडिकल ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जा रही है।
इनका कहना है.....
रात पौने चार बजे तक मैं स्वयं मनदीप इंस्ट्रीज के भगतपुरी स्थित प्लांट में मौजूद रहा, लगभग 200 व्यक्तियों को निः शुल्क मेडिकल ऑक्सीजन उपलब्ध कराई गई। सेवा का यह सफर निरंतर जारी है
आशीष खरे, तहसीलदार नागदा
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