नागदा - महंगाई है अपार.. करे हाहाकार.. ओ पेट्रोल तू इतना बढ़ता क्यूँ है... 102 रूपये लीटर हुआ



Nagda(mpnews24)।  कुछ वर्षो पूर्व आई फिल्म पीपली लाईव का गाना सखी संय्या तो खूब ही कमात है, पर महंगाई .... खाय जात है ... वर्ष 2014 के आम चुनावों में खूब सुनाई दिया था। ततसमय विपक्ष एवं वर्तमान में सत्तासीन नेताओं ने महंगाई को मुद्दा बनाते हुए सरकार को घेरा था लेकिन ततसमय से लेकर वर्तमान दौर पर यदि गौर किया जाऐ तो आज महंगाई तीन गुना ज्यादा हो चुकी है। कभी 70 रूपये प्रति लीटर में मिलने वाला पेट्रोल आज शतकवीर होकर 102 रूपये में मिल रहा है। यही स्थिति डीजल एवं रसोई गैस की भी है डीजल भी 90 रूपये प्रति लीटर से अधिक एवं रसोई गैस तो 900 रूपये प्रति सिलेण्डर का का आंकडा छुने को है। उस पर भी सब्सीडी को भी चोर दरवाजे से बंद कर दिया गया तथा मात्र 30-35 रूपये की सब्सीडी आम आदमी के खातों में आ रही है। ऐसे में गरीब एवं मध्यमवर्गीय परिवारों का तो जीना ही मुहाल हो चुका है।

शतकवीर हुआ पेट्रोल 102 का आंकडा छूने को आतुर
वर्षो पूर्व जब कभी विश्व स्तर पर युद्ध आदि के बादल मंडराया करते थे तो हिन्दुस्तान में पेट्रोल की कीमते बढती थी। लेकिन वर्तमान में न तो कोई युद्ध का आलम है और ना ही खपत अत्यधिक, तथा अंतराष्ट्रीय बाजार में भी कच्चे तेल के दाम आसमान नहीं छू रहे है। लेकिन केन्द्र एवं राज्य की सरकारों ने अपना खजाना भरने के लिए आम आदमी का तेल निकाल दिया है। स्थिति इतनी विकट है कि कोरोना महामारी मेें जबकि ज्यादातर राज्यों में लाॅकडाउन लगा हुआ है तथा तेल की अल्प खपत के बावजुद दाम आसमान छू रहे है। शहर में वर्तमान में पेट्रोल लगभग 102 के आंकडे को छूने को आतुर है।

खाने का तेल भी तीन गुना महंगा हुआ
पेट्रोल-डीजल का उपयोग यदि गरीब एवं मध्यमवर्गीय परिवार न भी करें तो भी वर्तमान दौर में महंगाई ने रसोई के हाल भी बिगाड रखे है। कभी 70 रूपये प्रति किलो में मिलने वाला खाद्य तेल 170 रूपये प्रति किलो पहुॅंच गया है। महंगाई ने जहाॅं आम आदमी की रसोई का बजट तो बिगाडा ही है महंगाई का सीधा असर सामाजिक कार्यो पर भी पडा है। गत वर्ष कोरोना लाॅकडाउन के दौरान शहर के समाजसेवियों ने मुक्तहस्त से जरूरतमंदों की मदद की थी लेकिन इस वर्ष महंगाई को देखते हुए किसी भी सामाजिक संगठन ने एक माह के दौरान भोजन के पैकेट वितरण करने की हिम्मत नहीं जुटा पाऐ। ऐसे में महंगाई का दंश गरीबों एवं मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए बहुत ही पीडादायक हो चुका है।

दालों से लेकर अन्य भोजन सामग्री की दरें भी बहुत अधिक
महंगाई का दौर अभी थमने का नाम लेने वाला नहीं है। आलम यह है कि अब आम आदमी दाल-रोटी भी खाने की स्थिति में नहीं बचा है। दाल के भाव जहाॅं 100 से 150 रूपये किलो हो चुके हैं वहीं कभी 25-30 रूपये किलो में मिलने वाला सामान्य चावल भी 50 रूपये किलो हो चला है। ऐसे में अब चटनी और रोटी के दिन देखने की नौबत गरीब एवं मध्यमवर्गीय परिवारों पर आ चुकी है।
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