संसाधनों की उपलब्धता पर गंभीर नहीं प्रशासन, कैसे सुधरेंगे हालात
सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन को सिविल अस्पताल प्रबंधन द्वारा कई बार कोविड सेंटर में आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता को लेकर मांग पत्र प्रेषित किया जा चुका है। लेकिन जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा आज तक आवश्यक वस्तुओं को अस्पताल में नहीं भेजा है। क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने भी लाखों की राशि कोविड सेंटर में आवश्यक सामग्री के लिए प्रदान की है लेकिन उस राशि से भी आज तक क्या सामग्री अस्पताल को दी गई उसका भी कोई अता पता नहीं है। ऐसे में अव्यवस्थाओं के बीच प्रतिदिन अस्पताल में मौते हो रही है। जिसका जिम्मेदार स्थानिय प्रशासन एवं जिला स्वास्थ्य विभाग है।
आईसोलेशन में लगातार मौत का शिकार हो रहे मरीज
सिविल हाॅस्पिटल में वर्तमान में लैंक्सेस उद्योग द्वारा दान में दिए गए आईसीयू वार्ड में 5 मरीजों का उपचार किया जा रहा है। यहाॅं की व्यवस्थाऐं थोडी ठीक है लेकिन अस्पताल में बनाऐ गए आईसोलेशन वार्ड में स्थिति बद से बदतर है। यहाॅं पर मरीजों को अमानविय रूप से रखा जा रहा है तथा उन्हें न तो आॅक्सीजन की सुविधाऐं मिल पा रही है और ना ही ठीक से उपचार। उपचार की कमान महिला चिकित्सकों एवं अस्पताल के स्टाफ पर है जिन्हें कोरोना उपचार का कोई प्रशिक्षण तक नहीं मिला है। जिला प्रशासन ने कोविड सेंटर प्रारंभ करने से पूर्व स्टाफ को प्रशिक्षण तक नहीं दिया। जिसका आलम है कि प्रतिदिन अस्पताल में मौत का तांडव हो रहा है।
आखिर कब प्रारंभ होगा बीमा कोविड सेंटर ?
विगत लम्बे समय से सुनने में आ रहा है कि बीमा अस्पताल में कोविड सेंटर प्रारंभ किया जा रहा है। लेकिन महामारी का दौर चरम पर है बावजुद इसके बीमा अस्पताल में कोविड सेंटर का प्रारंभ न होना प्रशासन की लचर कार्यप्रणाली को दर्शा रहा है। बताया जाता है कि बीमा सेंटर के लिए अभी तक आवश्यक संसाधन भी अस्पताल प्रबंधन को प्राप्त नहीं हो सके है। साथ ही स्टाफ की बेहद कमी भी देखी जा रही है। जिला कलेक्टर, स्थानिय अधिकारी एवं राजनेताओं ने बीमा का दर्जनों बार दौरा कर लिया लेकिन न तो सेंटर प्रांरभ हो पाया और ना ही सिविल हाॅस्पिटल की व्यवस्थाऐं सुधर रही है। आलम यह है कि बिमारी से कम लेकिन अव्यवस्थाओं के चलते नागरिकों की ज्यादा जान जा रही है।
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