क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को देना होगा ध्यान
वर्तमान में नगर पालिका में प्रशासक एवं मुख्य नगर पालिका अधिकारी ही संपर्ण कार्यो को देख रहे है। मुनपा अधिकारी विगत लम्बे समय से पारिवारिक स्वास्थ्य परेशानियों के चलते कार्यालय नहीं आ पा रहे है वहीं प्रशासक के रूप में अनुविभागीय अधिकारी आशुतोष गोस्वामी पर पुरे शहर की जिम्मेदारी है। एसडीएम को चाहिए कि शहर के 36 ही वार्डो में उचित सेनेटाईजेशन एवं कीटनाशकों के छिडकाव हेतु शेडयूल बनाकर उसकी मौनिटरिंग करवाई जावे। जिससे की कोरोना महामारी को हराया जा सके। क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की भी जिम्मेदारी है कि वह नपा के क्रियाकलापों पर अपनी पैनी निगाह रखें तथा शहर की जनता को सुरक्षित रखने हेतु नपा पर दबाव बनाकर उचित सेनेटाईजेशन एवं कीटनाशकों का छिडकाव नगर में करवाऐं।
दाह संस्कार के प्रोटोकाॅल निर्धारित फिर भी लापरवाही
प्रशासन ने किसी भी परिवार में यदि कोई दुःखद घटना हो जाती है तो उसके लिए अंतिम संस्कार के प्रोटोकाॅल निर्धारित कर रखे हैं। लेकिन शहर में उक्त प्रोटोकाॅल का उल्लंघन हो रहा है। जिन परिवारों में असमय मृत्यु हो रही है वहाॅं कोरोना की जांच के अभाव में प्रोटोकाल का पालन भी नहीं हो पा रहा है। इतना ही नहीं अस्पतालों से आने वाले पार्थिव देह को भी अस्पताल प्रबंधन उचित प्रबंध कर परिजनों को नहीं सौंप रहे है। ऐसे में शहर में लगातार संक्रमण का खतरा बना हुआ है।
बाॅक्स
क्वारंटिन अवधि का पालन न के बराबर
शहर के प्रत्येक मोहल्ले में वर्तमान में कोरेाना संक्रमित मरीज मिले है। बावजुद इसके संक्रमित मरीजों के परिजन क्वांरटिन नियमों का पालन नहीं कर रहे है। प्रशासनिक अधिकारियों को जानकारी दिए जाने के बाद भी आज तक ऐसे लोगों पर कोई कार्रवाई नहंी की गई। जिसका परिणाम है कि शहर में निरंतर संक्रमण बढता ही जा रहा है। प्रशासन द्वारा क्वारंटिन नियमों का पालन कराये जाने से भी कोविड के फैलाव को रोका जा सकेगा। इतना ही नहीं चुनावों में जिम्मेदारियों निभाने के बाद शहर पहुॅंचे कई लोगों ने अपनी कोविड जांच तक नहीं करवाई, प्रशासन ने भी इस और ध्यान नहंी दिया। परिणाम पुरा शहर भूगत रहा है। कई लोग कोरोना की आरटीपीसीआर जांच करवाने के बाद निगेटिव रिर्पोट आने पर खुलेआम शहर में घुम रहे हैं जबकि लक्षण होने के चलते उन्हें भी अपने आप को क्वारंटिन रखना चाहिए।
बाॅक्स
आंकडों का गिरना वास्तविकता या कुछ और
विगत दो तीन दिनों से देखा जा रहा है कि नागदा शहर में संक्रमण का दायरा सरकारी जांच रिर्पोट में कम हुआ है। लेकिन लगातार हो रही मौत के आंकडे इसके उलट कहीं ज्यादा अधिक है। ऐसे में इस बात की भी शंका जाहिर की जा रही है सिविल अस्पताल प्रबंधन द्वारा जांच में कहीं न कहीं लापवाही बरती जा रही है जिसका परिणाम यह है कि ज्यादातर जांच रिर्पोट निगेटिव आ रही है, लेकिन शहर में हुई मौत के आंकडे इसकी अलग ही कहानी बयां कर रहे है। प्रशासन को आरटीपीसीआर की जांच में सही सेंपलिंग हो इसका ख्याल रखने की भी सख्त आवश्यकता है। क्योंकि अस्पताल में ही विगत दिनों में 22 के लगभग लोगों की जान विभिन्न कारणों से जा चुकी है।
Post a Comment