नागदा - बच्चों में कोरोना के प्रभाव को लेकर किए जा रहे शोध में आ रही राहत की खबर - डाॅ. कुमरावत



Nagda(mpnews24)।  हेल्थ सर्विसेज उज्जैन डिविजन के डिप्टी डायरेक्टर एवं वरिष्ठ चिकित्सक डाॅ. संजीव कुमरावत ने कोरोना महामारी के बच्चों पर होने वाले प्रभाव को लेकर की जा रही शोध को साझा करते हुए राहत भरी खबर दी है।

डाॅ. कुमरावत ने बताया कि देश और दुनिया से आ रही जानकारियाॅं कोविड महामारी में राहत की खबर ला रही है यह न्युज मुंबई, अहमदाबाद और वाशिंगटन से आयी है। उन्होंने बताया कि मुम्बई में किए गए सीरो सर्वे मे यह निष्कर्ष निकला की 51 प्रतिशत बच्चों मे कोविड की एंटीबाडी पायी गयी। इसी प्रकार वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के एएलिबेडी ने बताया कि कोविड इंफेक्शन के बाद इम्युनिटी कई सालो तक या आजीवन रहने के प्रमाण मिले। ऐसे में बच्चों को कोरोना महामारी से सुरक्षित रखने में इन शोधों का काफी असर पडने वाला है।

बच्चों की वैक्सीन के ट्रायल भी पुरे हुए
डाॅ. कुमरावत ने बताया कि इस प्रकार की जानकारी भी मिली है कि अहमदाबाद की जायडस केडिला के वैक्सीन के ट्रायल पूरे हुए हैं तथा मुंबई में एक अप्रेल से 15 जून के बीच बीएमसी ने नवजात से लेकर 18 वर्ष के बच्चों में सीरो सर्वे कराया, यह सर्वे सभी 24 वार्डो मे लगभग 2100 सेम्पल के द्वारा किया गया था। इस सर्वे मंे यह निष्कर्ष निकला कि मुंबई में नवजात से 18 साल तक के 51 प्रतिशत बच्चों मे कोविड की एंटीबाडी पायी गयी, यानि लगभग आधे बच्चे कोविड से संक्रमित हो चुके है और उनमे कोविड के विरुद्ध इम्युनिटी आ गयी है। हालांकि एडमिट मरीजों में बच्चों का प्रतिशत बहुत कम था, इससे सिद्ध होता है कि बच्चों मे कोविड माइल्ड लक्षण या बिना लक्षण के हुआ था। उन्होंने बताया कि यह 51 प्रतिशत बच्चे बिमारी के फैलने में बेरियर का काम करेगें तथा बिमारी को फैलने से रोकेगें।

जरूरत के समय शरीर अपने आप बना लेगा एंटीबाॅडी
डाॅ. कुमरावत ने बताया कि वाशिंगटन यूनिवर्सिटी ने एक रिसर्च मे बताया कि अभी तक यह माना जाता था कि कोविड इंफेक्शन के बाद एंटीबाडी (इम्युनिटी) 3 से 5 महीने तक ही रहती है परंतु रिसर्च से पता चला है कि इसके बाद बी-सेल और टी-सेल मेमोरी सेल बनाती है जिनको प्लाज्मा सेल भी कहते है.यह मेमोरी सेल लिम्फ नोड में 1 से 2 साल तक एवं बोनमेरो मे दस साल या आजीवन स्लीपिंग सेल के रुप मे रहती है। यानि सुसुप्त अवस्था मे रहती है और जब भी कोरोना वाइरस शरीर मे आता है यह एक्टिव हो कर एंटीबाडी बनाने लगती है। यानि इंफेक्शन के तीन महीने बाद एंटीबाडी कम होने लगती है तो कोई चिंता की बात नही है जरूरत के समय हमारा शरीर पर्याप्त एंटीबाडी बना सकता है।

आपात उपयोग के लिए तैयार वैक्सीन
डाॅ. कुमरावत ने बताया कि अहमदाबाद की जाइडस केडिला की वैक्सीन इमरजेंसी उपयोग के लिये तैयार है। संभवतः अगस्त में लगना शुरू हो जायेगी। यह वैक्सीन 12 से 18 साल के बच्चों में उपयोगी है। इस वैक्सीन की तीन डोज लगेगी। डाॅ. कुमरावत ने कहा कि इन तीनो खबर को एक साथ रखे तो राहत की खबर बनती है। मुंबई सीरो सर्वे के अनुसार बच्चों मे कोविड की एंटीबाडी बनने लगी है.वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के अनुसार इंफेक्शन के बाद इम्युनिटी कई सालो तक रहती है, यानि यह बच्चे लम्बे समय तक इम्युन रहेंगे और जायडस केडिला का वैक्सीन 12 साल से ऊपर के बच्चों के लिये तैयार है यानि हम जल्दी ही बच्चों का टीकाकरण शुरु करने वाले है।

वायरस को फैलने का मौका नहीं देना है
डाॅ. कुमरावत ने बताया कि इनमे दो बाते चिंता का विषय है पहला यदि वायरस में हल्का सा म्युटेशन होता है तो इम्युन सिस्टम उसको पकड़ लेता है परंतु वाइरस में बड़ा म्युटेशन हुआ तो फिर इम्युन सिस्टम पकड़ नही पाता है। इसलिए वाइरस को म्युटेट होने का मौका मत दिजिये यानि मास्क लगाए, दुरी बनाए, भीड़भाड़ न करे, बहुत आवश्यक होने पर बाहर जाये और प्रारंभिक लक्षण में ही टेस्ट कराए। दुसरी बात मोटे तोर पर देश मे 12 से 18 साल के लगभग 13 या 14 करोड़ बच्चे है। इनके लिये लगभग 40 करोड़ डोज की आवश्यकता होगी। इतने डोज का उत्पादन करना अत्यंत आवश्यक है।
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