नागदा - सच्चा मित्र वही जो दुख मे आपकी ढाल बने और सुख मे परछाई बने - मुनिवर चन्द्रयशविजयजी



Nagda(mpnews24)।  सच्चा मित्र वही जो दुःख मे आपकी ढाल बने और सुख मे परछाई बने। भगवान ने कहा कि किसी आत्म कल्याण मे सारथी बने उसे कल्याण मित्र कहते है। लेकिन जो दुख मे साथ नही दे उसको मित्र नही मानना चाहिये। भगवानः उत्तरायण सूत्र में कहते है इच्छाए आकाश की तरह अनन्त होती है। पुण्य से मानव जीवन मिला है तो हमे इसे पुण्य के हवाले ही करना चाहिये लेकिन हमारा इस और ध्यान नही। उक्त उद्गार चातुर्मास के दौरान विराजित मुनि चंद्रयशविजयजी म.सा एवं जिनभद्रविजयजी ने धर्मसभा में कही।
मुनिवर ने आगे कहा कि आपने बंगले की सुरक्षा के लिये ताला लगाया, चौकीदर बिठाया, मच्छरदानी लगाई लेकिन क्रोध, मान, माया, लाभ, इर्ष्या, राग, द्वेष जैसे कशाय आत्मा के भीतर प्रवेश के लिये मनुष्य कोई प्रयास नही करता है। इन कशाय को रोकने के अध्यात्म लिये समता, सहनशीलता, सरलता, सोम्यता, सन्तोष की दीवार बनाना चाहिये। जिससे मानव जीवन सार्थक होता है। हमें जीवन को समझना चाहिये । हम मानव बने लेकिन मानवता को समझना चाहिये। हमे मानव जीवन पुण्य से प्राप्त हुआ है। उत्तरायन सूत्र में प्रभु बताते है कि मानव जीवन बहुत परिश्रम से मिलता है। पैसा, मित्रता और शत्रुता दोनों का कारण है। पेसे जब उधार मिलते है तो मित्रता बढ़ती है उधार वापिस मांगने पर दुश्मनी बढ़ती है। संसार स्वार्थ के पिछे है, निस्वार्थ रिश्ता भगवान और धर्म का है, जहाँ निस्वार्थ प्रेम है। त्रियन्च मे भी आसक्ति का भाव रहता है तो मनुष्य के अन्दर कूट कूट भरा है। उत्तरायन सूत्र मे भगवान ने कहा कि निति और नियम से करना चाहिये। करोड़ो रूपये कमाना पाप नहीं लेकिन एक रुपये पर भी आसक्ति रखना पाप है। यह जानकारी चातुर्मास सचिव राजेश गेलड़ा एवं अभय चोपड़ा ने संयुक्त रूप से दी।

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सभी को सुख दुःख को जो दिल से समझे वही सच्चा मित्र होता है

महावीर भवन में धर्मसभा को महासति पुण्यशीलाजी ने कहा कि सभी के शरीर में आत्मा का वास होता है जो व्यक्ति दुसरो के सुख दुःख को दिल से समझे वही सच्चा मित्र होता है। आधुनिक युग का फ्रेन्डशिप डे एवं पुराने समय में मित्रता दिवस कहा जाता था जैसा कि श्रीकृष्ण एवं वासुदेव की मित्रता जानी जाती है वर्तमान समय में किसी को नीचे गिराना, खिल्ली उड़ाना, स्वार्थ की मित्रता होती है। दुसरी मित्रता परमार्थ की होती है जो सहयोग प्रदान करती है। तिसरी आध्यत्मिक जो हृदय से मित्र भाव रखती है। साध्वी नेहप्रभाजी ने कहा कि पुरूषार्थ एवं पुण्यवाणी व धर्म ही आपके साथ जायेगा। जनम, परण एवं मरन हो व्यक्ति दुःख ही झेलता है। चातुर्मास के मीडिया प्रभारी महेन्द्र कांठेड एवं नितीन बुडावनवाला ने बताया कि वर्षीतप की तपस्या श्री चंदनमल संघवी एवं श्रीमती संगीता सुनील सकलेचा की चल रही है। 12 उपवास की तपस्या श्रीमती मधुबाला चपलोत तीन उपवास की लडी श्रीमती सरिता रामसना सहित कई तपस्या चल रही है। गुणानुवाद सभा में पूज्य आचार्य सम्राट आनन्दऋषीजी का गुणगान किया एवं दोपहर दो-दो सामाजिक के साथ नवकार महामंत्र के जाप की प्रभावना के लाभ मनोहरलाल रविकुमार कांठेड ने लिया। अतिथि सत्कार का लाभ रजनेशकुमार मोहनलाल भटेवरा ने लिया। श्रीसंघ अध्यक्ष प्रकाशचन्द्र जैन सांवेरवाला ने आभार माना। चातुर्मास अध्यक्ष सुनीलकुमार वौरा ने धर्म लाभ की अपील की।
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