MP NEWS24- 84 लाख जीवयोनी के परिभ्रमण के बाद प्रबल पुण्योदय से मिले इस मानव जीवन को धर्म आराधना कर धन्य बना चाहिए, क्योकि नरक गति में जन्म लेने वाला जीव धर्म आराधना न सुन सकता हैै और नहीं कर सकता है। इसी प्रकार तियर्च गति में जन्म लेने वाला केवल धर्म आराधना को सुन सकता है कर नहीं सकता, देव गति का जीव धर्म आराधना को सुन सकता हैै समझ सकता है किन्तु वह भी तियर्च गति के जीव की तरह धर्म आराधना कर नहीं सकता है। चार गति में शेष रही मानव गति ही एक मात्र ऐसी गति है जो धर्म आराधना को सुन भी सकती है और कर भी सकती है। इसलिए कहा गया है कि मोक्ष पद की प्राप्ति मानव भव से ही संभव है।यह बात लक्ष्मीबाई मार्ग स्थित पाठशाला भवन में चातुर्मास हेतु विराजित मुनिप्रवरश्री चन्द्रयशविजयजी ने मंगलवार सुबह 9.30 बजे आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। उन्होने कहा कि मानव जीवन में सुख और दुख का आना दिन और रात के समान है। यदि जीवन में दुख आया है तो यह निश्चित है एक समय के बाद सुख भी आना वाला है। जो मानव इस सुख की घड़ी में धर्म आराधना का साथ नहीं छोड़ता है, धर्म आराधना के प्रभाव से आना वाला दुख भी सुख में परिवर्तित हो जाता है। उपस्थित श्रद्धालू को सीख देते हुए मुनिश्री ने कहा कि चाहे सुख हो या दुख हर समय धर्म आराधना कर मानव जीवन को धन्य बनाने का कार्य करते रहना चाहिए।
पर्यूषण पर्व आराधना 3 सितम्बर से, सजाने लगे मंदिर
मूर्तिपूजक जैन श्रीसंघ की पर्यूषण पर्व आराधना की शुरूआत 3 सितम्बर शुक्रवार से होगी। 8 दिन तक चलने वाले इस पर्व आराधना का समापन 10 सितम्बर शुक्रवार को सवत्सरी महापर्व के साथ होगा। जानकारी देते हुए मीडिया प्रभारी डॉ. विपिन वागरेचा ने बताया कि पर्यूषण पर्व से पूर्व मंदिर को सजाने क्रम निरन्तर जारी है।
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