MP NEWS24- वधाओं-वधाओं, तपस्वी ने वधाओं जैसे ही यह भजन गुन्जाए मान हुआ मुनिद्वय ने 101 सिद्धितप के तपस्वियों पर अक्षत, मोती, सोना-चांदी के फूल बरसा कर तपस्वीयों की वधामना की। यह नजारा था रविवार दोपहर 3.30 बजे लक्ष्मीबाई मार्ग स्थित गोपाल गोशाला परिसर में आयोजित तपस्या के वधामने का। नगर के इतिहास में मूर्तिपूजक जैन श्रीसंघ में अभी तक आयोजित चातुर्मास में यह पहला मौका है जब मुनिद्वय अपने हाथों से तपस्वीयों को अक्षत, मोती से वधाया (बरसाए)। जैसी मुनिद्वय ने तपस्वीयों को वधाया वैसी तपस्वी खुशी से झुम उठे।तपस्वी वधामने के कार्यक्रम की शुरूआत सुबह 9.15 बजे मुनिश्री चन्द्रयशविजयजी एवं मुनिश्री जिनभद्रविजयजी के मंगलाचरण से हुई। मुनिश्री ने स्तवन के माध्यम से सिद्धितप के 101 तपस्वी की अनुमोदना की। इस मौके पर मुनिश्री ने धर्मसभा को संबोधित किया। 7 घंटे तक चले तप वधामना के कार्यक्रम को मोहनखेड़ा तीर्थ से आए संगीतकार देवेश जैन एण्ड पार्टी ने संगीतमय कर दिया। कार्यक्रम में सिद्धितप तपस्वी के पद पक्षालन करने के बाद अक्षत, मोती, सोना-चांदी के फूल से वधया गया। जिसका लाभ सरदारमल, विमलचन्द्र, सतीशकुमार नागदा परिवार ने लिया। तपस्वी के वधामने के पश्चात लाभार्थी परिवार द्वारा मुनिद्वय का पद पक्षालन कर केशर एवं अक्षत(चावल), मोती, सोने-चांदी के फूल से वधामना किया गया। अंतः मुनिद्वय नेे तपस्वियों पर अक्षत(चावल), मोती, सोने-चांदी के फूल बरसा कर तप की वधामना की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. विपिन वागरेचा एवं आयुष बोहरा ने किया। कार्यक्रम के पश्चात मूर्तिपूजक जैन श्रीसंघ के स्वामीवात्सलय का आयोजन किया गया। जिसका लाभ सोहनबेन, जवाहरलाल विजयकुमार तांतेड़ परिवार ने लिया।
देवता भी तरसते तप आराधना करने के लिए - मुनिश्री चन्द्रयशविजयजी
वधामना के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुनिश्री चन्द्रयशविजयजी ने कहा कि नरक, तियर्च, देव और मनुष्य इन चार गति में केवल मनुष्य गति में तप आराधना कर आत्मा मोक्ष रूपी शाश्वत सुख को प्राप्त कर सकती है। मानव द्वारा की गई तप आराधना की अनुमोदना देवलोक में देवता भी अप्रत्यक्ष रूप से करते है क्योकि देवलोक में समस्त प्रकार वैभव, सुख, समृद्धि है किन्तु तप आराधना करने की आज्ञा नहीं हैै। उन्होने कहा कि पुण्यानुबंधी पुण्य के योग से मानव जीवन में तप आराधना करने का अवसर प्राप्त होता है। नगर की 8 साल की बेटी स्तुति कुंवर से लेकर 78 वर्ष तक वयोवृद्ध ने जो सिद्धितप आराधना कर जैन समाज को ही रोशन नहीं किया है अपितु सम्पूर्ण नगर को गौरवान्वित किया।
12 सितम्बर को होगा पारणा
जानकारी देते हुए मीडिया प्रभारी डॉ. विपिन वागरेचा ने बताया कि मुनिद्वय की निश्रा में 12 सितम्बर रविवार को 101 सिद्धितप तपस्वीयों का सामूहिक पारणे का आयोजन होगा। इससे पूर्व 11 सितम्बर को 44 दिवसीय सिद्धितप का अंतिम बियासना एवं क्षमा वाणी का आयोजन होगा।
यह थे उपस्थित
तप वधामने के आयोजन में श्रीसंघ अध्यक्ष हेमंत कांकरिया, मनीष सालेचा व्होरा, हर्षित नागदा, रितेश नागदा, राजेश गेलड़ा, निलेश चौधरी, भंवरलाल बोहरा, सुनील कोठारी, सुनील वागरेचा, सुरेन्द्र कांकरिया, विरेन्द्र सकलेचा, कमलेश नागदा, ऋषभ नागदा, अतिश नागदा, यश गेलड़ा, कल्पेश भंसाली, भावेश बुरड़, मनोज वागरेचा, अंकित कांकरिया आदि पदाधिकारी सहित गणमान्य समाजजन उपस्थित थे।
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