नागदा जं.-तप तन को संवारता है, मन को निखारता है, आत्मा को अंतभावो को जगाता है-महासति पुण्यशिलाजी

MP NEWS24- गुरूवार को महावीर भवन में तपस्वियों की तपस्या की बोली तपस्या से विशेष आयोजन के उपलक्ष्य में पूज्य महासति पुण्यशिलाजी ने कहा कि तपस्या वो ही कर सकता है जो इसके माध्यम से जो अपनी इंद्रियो को वश में कर लेता है। वही तप के पथ पर आगे बढ सकता है। तपस्या तन को संवारती है मन को निखारती है आत्मा को अर्न्तभावो को जाग्रत कर अपनी पांचो इन्द्रीयों को वंश में कर सकती है । जैसे हर व्यापारी सीजन के हिसाब से परिवर्तन करता रहता है। मौसम के अनुसार अपने आप को बदलता रहता है, हमे भी अपने आपको बदलना पड़ेगा। साध्वी नेहप्रभाजी म.सा. ने कहा कि अनादि काल से आत्मा कर्माे के बंधन में बंधी हुई है कर्म दो प्रकार के होते है, बुरे कर्म और अच्छे कर्म। इसी आधार पर आपको कर्माे का फल भोगना पड़ता है।

स्थानकवासी जैन चातुर्मास समिति के मीडिया प्रभारी महेन्द्र कांठेड़ एवं नितिन बुडावनवाला ने बताया कि तेले की लड़ी श्रीमती सीमा निलेश लुणावत सांवेरवाला, 8 उपवास प्रियांशी भामावत, लम्बी अवधि की तपस्या श्रीमती शान्ताबहन सुनील वौरा के 27 उपवास, श्रीमती निर्मला चण्डालिया के 32 उपवास की तपस्या चल रही है। तपस्या की बोली तपस्या से श्रीमती निर्मला चण्डालिया के बहुमान की बोली 8 उपवास से श्रीमती गुणबाला लुणीया इन्दौर वाले ने लेकर बहुमान किया एवं श्रीमती शान्ताबहन वौरा के बहुमान की बोली श्रीमती रसीला राजेन्द्र कांठेड़ ने 9 उपवास की बोली लेकर बहुमान किया।

इस अवसर पर दोनो तपस्वियों की गीत के माध्यम से मनोहरलाल कांठेड़ ने अनुमोदना की। अभिनंदन पत्र का वाचन चातुर्मास समिति के अर्जुनसिंह पंवार रत्नीयाखेड़ी एवं मनोजकुमार चपलोत ने किया। प्रातः के जाप, प्रवचन की प्रभावना एवं दोपहर की चौबीसी एवं अतिथि सत्कार का लाभ भी वौरा परिवार मुलथान वालो ने लिया। संचालन राजेन्द्र कांठेड़ ने किया एवं आभार प्रकाशचन्द्र जैन सांवेरवाला ने माना।

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