MP NEWS24- जिस प्रकार पतझड़ पड़े बसंत का इंतजार करते है, कृषक नई फसल की बुआई करने के लिए वर्षा ऋतु का इंतजार करता है, ठीक उसी प्रकार आत्मा भी साल भर से पर्यूषण महापर्व आने का इंतजार करती है। वैसे तो श्रावक को प्रतिदिन धर्म आराधना करनी चाहिए। यदि वह प्रतिदिन नहीं कर सकता है तो चातुर्मास के चार माह आवश्य करना चाहिए। यदि प्रमादवश चातुर्मास के दौरान भी तप आराधना नहीं कर सको तो कम से कम आठ दिवसीय पर्यूषण महापर्व में आराधना कर इस आत्मा को परमात्मा बनाने का कार्य अवश्य करना चाहिए। यह बात गुरूवार को लक्ष्मीबाई मार्ग स्थित पाठशाला भवन में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुुए मुनिश्री चन्द्रयशविजयजी ने कही।सिद्धितप की आराधना अंतिम चरण पर
44 दिवसीय सिद्धितप आराधना अंतिम चरण में है। सिद्धितप आराधना के क्रम में सातवी पारी के बियासने का आयोजन गोपाल गोशाला में किया गया। मुनिश्री ने तपस्वी को संबोधित करते हुए कहा कि आपके तप आराधना रूपी इस साहस ने नागदा का नाम पूरे राष्ट्र में गौरवान्वित किया।
मुनिश्री का केश लोचन सम्पन्न
चातुर्मास हेतु विराजित मुनिश्री जिनभद्रविजयजी का बुधवार दोपहर को पाठशाला भवन में केश लोचन सम्पन्न हुआ। मुनिश्री का केशलोचन मुनिश्री चन्द्रयशविजयजी एवं मोहनखेड़ा तीर्थ से आए संतोष भैया ने सम्पन्न किया। मूर्तिपूजक जैन श्रीसंघ के पर्यूषण पर्व आराधना की शुरूआत 3 सितम्बर शुक्रवार से होगी। श्रीसंघ मीडिया प्रभारी डॉ. विपिन वागरेचा ने बताया कि पर्यूषण पर्व के पहले दिन सुबह 5 बजे पाठशाला भवन में रई प्रतिक्रमण एवं पोषधक्रिया, सुबह 7 बजे मंदिरजी में पक्षाल - पूजन, सुबह 9 बजे पाठशाला भवन में अष्ठानिका प्रवचन, दोपहर 1 बजे मंदिरजी में नवपद पूजन व शाम 7 बजे पाठशाला भवन में संध्या प्रतिक्रमण व रात्री 8.30 बजे मंदिरजी में आरती एवं भक्ति का आयोजन किया जाएगा।
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