नागदा जं.-निर्धारित समयावधि में एक भी निजी विद्यालय की जांच नहीं कर पाऐ पॉंच-पॉंच अधिकारी शिक्षा विभाग एवं एसडीएम के आदेशों की अवहेलना कर रहे जिम्मेदार, कहीं लाभशुभ का खेल तो नहीं

MP NEWS24-शिक्षा विभाग के निर्देश पर अनुविभागीय अधिकारी आशुतोष गोस्वामी ने 8 सितम्बर को एक दल का गठन कर निजी शिक्षण संस्थाओं द्वारा कोविड-19 महामारी अवधि की वसुली गई फीस (शुल्क) की जांच कर 5 दिन में प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। लेकिन 8 दिन बीत जाने के बाद भी दल के प्रमुख तहसीलदार, शिक्षा विभाग के समन्वयक बीआरसी, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी एवं दो अन्य अधिकारीगण आज तक एक भी विद्यालय की जांच नहीं कर पाऐं। अलबत्ता निजी शिक्षण संस्थाओं के दबाव में उक्त जांच को ही ठंडे बस्ते में डालने की तैयारी की जा रही है। ऐसे में कोविड-19 महामारी के दौरान निजी शिक्षण संस्थाओं द्वारा अभिभावकों से की गई लूट का पुरा मामला दबाने का प्रयास शिक्षा विभाग द्वारा किया जा रहा है तथा निजी शिक्षण संस्थाओं को अभिभावकों से खूली लूट की एक तरह से मौन अनुमती भी शिक्षा विभाग ने दे दी है।

क्या है मामला
गौरतलब है कि कोरोना महामारी के दौरान विगत दो शिक्षण सत्रों से निजी एवं शासकीय विद्यालय पुरी तरह से बंद हैं। ऑन लाईन पढाई के नाम पर निजी विद्यालय के संचालकों द्वारा संपूर्ण सत्र की पुरी शुल्क (फीस) वसुली की गई। जगकि कोविड-19 महामारी के दौरान पुरा देश तथा क्षेत्र के नागरिक परेशान रहे। कई विद्यार्थीयों के परिवार में गमगीन घटनाऐं भी हो गई, कई परिवारों को आर्थिक दंश झेलना पड रहा है। इतना ही नहीं शहर के हजारों अस्थायी कर्मचारियों को निजी उद्योग द्वारा घर भी बैठा दिया गया। जिसका खासा प्रभाव विद्यार्थीयों के पालकों को पडा है। राज्य शासन शिक्षा विभाग द्वारा कोविड-19 अवधि के दौरान स्कूल नहीं लगने पर सिर्फ ट्यूशन फीस ही वसुलने के निर्देश दिए हैं साथ ही उच्च न्यायालय खण्डपीठ जबलपुर ने भी आदेश पारित कर अभिभावकों से न्यूनतम ट्यूशन फीस ही वसुलने के निर्देश दिए हैं, बावजुद इसके स्थानिय स्तर पर संचालित होने वाले कई निजी विद्यालयों द्वारा संपूर्ण शुल्क की वसुली अभिभावकों से की गई है। जिसकी जांच होना आवश्यक है।
एसडीएम ने दल बनाकर दिए हैं निर्देश
एसडीएम श्री गोस्वामी द्वारा 8 सितम्बर को जारी आदेश में कहा है कि स्कूल शिक्षा विभाग के 9 जुलाई को जारी आदेश एवं डीओ के 16 जुलाई को प्रेषित पत्र के द्वारा स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त अशासकीय विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं का शुल्क कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन अवधि वर्ष 2019-20 एवं वर्ष 2020-21 में शिक्षक शुल्क के अतिरिक्त अन्य कोई फीस प्रभारित नहीं की जावेगी एवं उच्च न्यायालय खण्डपीठ जबलपुर के पारित निर्णय में दिये गये निर्देश के परीपालन में पालकों से शिक्षण शुल्क ही लिया जावेगा। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी निर्देश के अनूक्रम में शिक्षण शुल्क 5 किश्तों में लिये जाने के निर्देशों का पालन विद्यालयों में नहीं किया जा रहा है, जिसमें पालकों कि शिकायतें प्राप्त हो रही है। साथ ही शाला स्थानांतरण, अंकसूची दस्तावेज संस्था प्रधान द्वारा प्रदाय नहीं किये जा रहे हें। साथ ही पुस्तकें क्रय, शाला प्रवेश अतिरिक्त शुल्क लिये जाने की भी शिकायतें प्राप्त हो रही है। उक्त शिकायतों एवं निर्देशों के क्रियान्वयन हेतु अधोलिखित अधिकारियों की निरीक्षण-जांचकर्ता कि समिति गठित की जाकर 5 दिवस में अशासकीय विद्यालयों का निरीक्षण कर अधोलिखित बिन्दुवार निरीक्षण प्रतिवेदन बीआरसी द्वारा प्रस्तुत किया जाना है।
यह हैं जांचदल में शामिल
जांच दल में जिन अधिकारियों को शामिल किया गया है उनमें तहसीलदार आशीष खरे, बीईओ भालचन्द्र शास्त्री, बीआरसी प्रणव द्विवेदी, बीएसी अशोक कुमार, शैलेन्द्रसिंह डोडिया शामिल है। इन्हें 8 बिन्दुओं पर अपनी रिर्पोट 5 दिवस में सौंपना थी।

निजी विद्यालयों के दबाव में आऐ अधिकारी
गौरतलब है कि जांच दल गठन के विरोध में निजी विद्यालय के संचालकों द्वारा एक ज्ञापन देते हुए  विद्यालय की चाबी अधिकारियों को सौंपने की बात कही थी। लेकिन प्रश्न यह उठता है कि जब निजी विद्यालय कुछ गलत नहीं कर रहे हैं तो उन्हें भय किस बात का है। साथ ही कुछ निजी विद्यालय जिसमें आदित्य बिरला पब्लिक स्कूल, आदित्य बिरला सिनियर सेकेण्डरी स्कूल, आदित्य बिरला हायर सेकेण्डरी स्कूल के अलावा फातिमा कान्वेंट, वर्धमकान विद्यालय, मदर मेरी विद्यालय, लक्ष्य विद्यालय आदि के दबाव में जांच को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
इनका कहना है
अभी आरंभिक स्तर पर दस्तावेज एकत्रित करने का कार्य किया जा रहा है।
प्रणव द्विवेदी, बीआरसी शिक्षा विभाग

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