MP NEWS24-वर्षावास में महासति पुण्यशिलाजी ने कहा कि आत्मकल्याण की निरंतर कठिन साधना में लीन होने के बाद ही प्रभु से मिलन होना संभव होता है क्योंकि मन चंचल होता है वह भटकता रहता है और अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाता है। अतः हमको अपनी भावना शुद्ध, निर्मल, पवित्र रखकर तन साफ मन साफ एवं नियत साफ आवश्यक है। तभी हम सफलता के शिखर पर जा सकते है। महासति चर्तुगुणाजी म.सा. ने कहा कि वैराग्य की भावना उत्पन्न होने के बाद दीक्षा पश्चात् संसार के मुकाबले कई ज्यादा पुरूषार्थ करना पड़ता है।मीडिया प्रभारी महेन्द्र कांठेड़ एवं नितिन बुडावनवाला ने बताया कि तपस्या के अन्तर्गत 3 उपवास श्रीमती कमलबाई प्रकाशचन्द्र लुणावत सांवेरवाला के एवं 15 उपवास की तपस्या निलेश भटेवरा के चल रहे है। साथ ही कुमारी प्रियांशी भामावत सुपुत्री श्री सुनील भामावत ने 16 उपवास की तपस्या पुर्ण की गई। इन्होने पहली बार इतनी बड़ी तपस्या की एवं श्रीमती ज्योति सुनील भामावत ने बहुमान कर चौबीसी का आयोजन कर आज पारणा किया गया। अतिथि सत्कार का लाभ वौरा परिवार मुलथान वालो ने लिया।
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