नागदा जं.-उच्च न्यायालय ने टांक व अन्य पर लगी धारा 307 को किया खारिज, पूर्व में सेशन न्यायालय ने हटाई थी धारा 353

MP NEWS24- पॉंच वर्ष पूर्व झिरन्या निवासी रूवाबउद्दीन पर हुए प्राणघातक हमले के प्रकरण में आरोपी बनाऐ गए हिन्दू जागरण मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष भैरूलाल टाक सहित अन्य आरोपीयों को हाईकोर्ट इंदौर से बडी राहत मिली है। प्रकरण में हिन्दू संगठन के नेता श्री टाक सहित अन्य आरोपीयों पर लगी जानलेवा हमले की धारा 307 को न्यायालय ने खारिज कर दिया है।

प्रकरण में पैरवी कर रहे अभिभाषक वीरेन्द्र शर्मा (उज्जैन), जैना श्रीमाल व प्रीति श्रीमाल ने न्यायालय के समक्ष मजबूत तर्क रखे। अभिभाषकों ने माननीय न्यायाधीश के समक्ष तर्क रखे थे कि फरियादी को आई चोटें प्राणघातक नहीं हैं। अभिभाषकों के तर्को से सहमत होकर न्यायाधीश ने प्रकरण में जानलेवा हमले की धारा 307 हटाने के आदेश दिए। अधिवक्ताओं का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय की रूलिंग के अनुसार जो धारा 307 मुख्य आरोपी पर से खारिज हुई है, उससे सहआरोपी स्वतः ही मुक्त जाएंगे। गौरतलब है कि इसी प्रकरण में पुलिस द्वारा लगाई गई शासकीय कार्य में बाधा की धारा 353 पूर्व में ही सेशन न्यायालय से हटाई जा चुकी है। अब यह मुकद्मा धारा 147, 148, 149, 452, 427 भादवि व 30 आर्म्स एक्ट व अन्य धाराओं में चलेगा।
क्या था मामला
30 अक्टूबर 2016 को दीपावली मिलन के दिन प्रकाश नगर गली नं. 3 में विवाद हुआ था। जिसमें रूबाबउद्दीन निवासी झिरन्या ने भैरूलाल टाक, धर्मेश टाक, कपिल टांक, मयूर टाक, राजू टाक, अंकित टाक, अंकित यादव, लक्ष्मणसिंह शेखावत, मोतीसिंह शेखावत, प्रकाश सेन, संदीप कछावा, राहुल यादव, कन्हैया, मोनू सिंधी, मुकेश जायसवाल, मोंटू, श्री टांक की धर्मपत्नि, उनकी माताजी, विवेक शर्मा व अन्य 20-25 लोगों के विरूद्ध मण्डी थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी। मामले में पुलिस ने टाक सहित सभी लोगों पर धारा 147, 148, 149, 307, 353, 452, 427, भादवि व 30 ऑर्म्स एक्ट में प्रकरण दर्ज किया था।
सेशन न्यायालय ने हटा दी थी धारा 353
पुलिस के द्वारा चालान सेशन न्यायालय में प्रस्तुत करने के बाद टाक की तरफ से पैरवी कर रहे अभिभाषकों ने 13 मार्च 2021 को धारा 353, 307 एवं अन्य धाराऐं हटाने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया था। सुनवाई उपरांत सेशन न्यायालय के विद्वान न्यायाधीश ने 5 अप्रैल 2021 को धारा 353 हटा दी थी तथा 307 को यथावत रखा था। सेशन न्यायालय के उक्त आदेश के विरूद्ध आरोपीगण की और से हाईकोर्ट इंदौर में क्रिमिनल रिविजन क्रमांक 1473/2021 प्रस्तुत की गई थी सिकी सुनवाई हाईकोर्ट खंडपीठ ंदौर के न्यायाधीश ने करते हुए आरोपीगणों के अधिवक्तागणों के तर्को से सहमत होकर 21 अक्टूबर को धारा 307 खारिज करने का आदेश दिया है।

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