नागदा जं-सर्वपितृ अमावस्या पर सामूहिक तर्पण का षष्टम सफल आयोजन सम्पन्न शृद्धालू ने पुण्यदायिनी चम्बल में सर्वार्थ सिद्ध योग में एकसाथ विसर्जित किये आस्था के पिंड

MP NEWS24- महालय सोलह श्राद्ध श्री सर्वपित्र अमावस्या के अवसर पर कल्याणकारी पित्रकर्म पूजन व कुटुम्ब की 71 पीढियो की आत्मशांति हेतु विधि विधान से पितृ तर्पण का छठा सफल आयोजन सम्पन्न हुआ। जनकल्याण के लिए आयोजित सहस्त्र औदीच्य युवाओं द्वारा निःशुल्क सामूहिक पितृ तर्पण में लगभग 150 श्रद्धालु सम्मिलित हुए जिसमे धर्म व समुदाय के श्राद्धकर्ता ने धर्मलाभ लिया।  

संयोजक निलेश मेहता ने युवा पीढ़ी में सनातन परंपरा व संस्कारो को देने के उद्देश्य से सहस्त्र औदीच्य ब्राह्णण युवाओं द्वारा विगत 6 वर्षों से यह आयोजन किया जा रहा है। जिसमे नागदा व आसपास के सेकड़ो श्रद्धालुओ ने अपने पितरों को भाव की अंजलि देकर उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते है। कर्मकांड विद पंडित आचार्य अजयजी पंड्या, पंडित दीपकजी पण्ड्या के मार्गदर्शन में 6 अक्टूबर बुधवार को प्रातः 8 बजे से 11 बजे तक चम्बल तट बाल हनुमान मंदिर पर तर्पण कर्म सम्पन्न कराया गया। शास्त्रो में उल्लेखानुसार पवित्र चम्बल नदी में देश की 99वे नदियों व अनेक तीर्थाे के जल का मिलन होने से यहाँ किया गया धार्मिक कर्म अत्यंत पुण्यदायी होकर गंगा नदी के समकक्ष पूण्य प्रदान करने वाला होता है। आयोजको द्वारा आमंत्रित अतिथि एसडीएम अशुतोषजी गोस्वामी व सीएसपी मनोज रत्नाकर का फूल माला व इष्टदेव भगवान गोविन्द माधव की तस्वीर भेंट कर स्वागत किया गया। उपस्थित अतिथियों ने आयोजन की प्रशंसा की। साथ ही समाज के अध्यक्ष रामचन्द्र त्रिवेदी, अभा औदिच्य ब्राह्मण महिला जिला अध्यक्ष निर्मला रावल, पुरुषोत्तम सारस्वत, शेखर जोशी, चंद्र मोहन शर्मा, हेमंत त्रिपाठी, पंडित दिव्यांश पंडित, पंडित अक्षत व्यास, देवेश मेहता, सतीश पाठक, पंकज शर्मा, दिलीप पोरवाल, पुष्पेंद्र त्रिवेदी, पंडित अजय पण्ड्या, पंडित दीपक पण्ड्या, नीलेश मेहता आदि उपस्थित रहे। जन कल्याण हेतु वर्ष भर इस तरह के धार्मिक आयोजन होते है लेकिन नदी किनारे स्थायी घाट या निश्चित स्थान के अभाव में परंपरा निर्वहन में असुविधा का सामना करना पड़ता है।
कार्यक्रम के प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सहभागी बने सभी बंधुओ का आभार औदिच्य युवा अध्यक्ष नीलेश मेहता ने माना व अगले वर्ष आयोजन को बड़े स्तर पर आयोजित करने का कहा, जिससे इस पुण्य कार्य हेतु शहर से बाहर जाकर सम्पन्न करने वाले लोग अपने शहर में ही विधि विधान से पूजन कार्य पूर्ण कर सके।

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