MP NEWS24- वर्षावास में महासति पुण्यशिलाजी ने अणुस्मृति दिवस पर भक्तो से कहा कि गुरूदेव हमेशा मंत्रो की साधना में संलग्न रहते थे आपके विचार अनुसार जैन धर्म केवल विधि विधान नियम लय बद्ध होकर उच्चारण गले फेफड़ो एवं नांभी से उच्चारण गुंजना चाहिये। यहि महत्वपूर्ण तत्व का गहन अध्ययन एवं प्रशिक्षण आवश्यक है जो आपको सफलता रूपी शिखर पर पंहुचाने का कार्य करता है। महासति नेहप्रभाजी ने कहा कि तप अनमोल है उपवास की तपस्या के माध्यम कई साध्य एवं असाध्य समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। महासति चतुर्गुणाजी ने गुरूदेव पर आधारित मधुर गीत ‘ऐ मेरे प्यारे वतन‘ की तर्ज पर सुनाकर सबका मन मोह लिया।स्थानकवासी जैन समाज के मीडिया प्रभारी महेन्द्र कांठेड़ एवं नितिन बुडावनवाला ने बताया कि तेले की लड़ी मनोरमा भण्डारी, 29 उपवास की तपस्या पुष्पाबहन नवीन तरवेचा एवं 31 उपवास की तपस्या निलेश भटेवरा के चल रहे है। एकासना एवं अतिथि सत्कार के लाभार्थी वौरा परिवार मुलथान वालो ने लिया। संचालन सुरेन्द्र पितलीया ने किया।
प्रवचन में हुकुमचन्द चपलोत, संतोष कोलन, अनिल पावेचा, रमेश जैन मुनीमजी, विजय पितलीया, उमेश दलाल, शैलेन्द्र देशलहरा, निर्मल चपलोत, अनुज कांठेड, अजीत मारू, रजनेश भटेवरा, दिलीप वौरा, चंदनमल संघवी, प्रेमचन्द बोहरा एवं रत्नीयाखेड़ी श्रीसंघ उपस्थित थे।
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