MP NEWS24- अगर आप किसी के जीवन में बदलाव लाना चाहते है तो उसके लिये ज्यादा कुछ करना नहीं होता है केवल अच्छी सोच एवं किसी का जीवन बेहतर करने का जज्बा होना चाहिये। ऐसा ही सद्प्रयास नागदा नगर में समाज हित के क्षेत्र में कार्य करने वाले दो समाजसेवियों के द्वारा एक दृष्टिहीन बालिका के जीवन को बेहतर बनाने के लिए किया गया और उसने एक सार्थक रूप प्राप्त भी कर लिया।समीपस्थ ग्राम बैरछा की बालिका का बदला जीवन
बेरछा रोड़ निवासी बालिका भावना पिता अर्जुन जो कि कुछ साल पहले तक सामान्य बच्चो की तरह हंसते-खेलते जीवन जी रही थी। अचानक ही तीन वर्ष पूर्व बच्ची को धीरे-धीरे कम दिखने लगा था। माता-पिता की लापरवाही एवं गरीबी के कारण समय पर बच्ची को उचित उपचार नहीं मिल पाया और दुर्भाग्य से वह पूर्णतः दृष्टिहीन हो गई। मोहनश्री फाउण्डेशन के संचालक मनोज राठी बारदानवाला ने बताया कि लगभग एक वर्ष पूर्व भावना के माता-पिता उसके इलाज हेतु मोहनश्री फाउण्डेशन के पास लेकर आये। मोहनश्री फाउण्डेशन द्वारा उसे उपचार हेतु गुजरात स्थित नवसारी एवं अहमदाबाद के बड़े हास्पीटलो में आंखो के उपचार हेतु भेजा गया जहां समस्त जांच के बाद चिकित्सको ने बताया कि अब उसका अपनी आंखो से देख पाना संभव नहीं है।
राठी ने आगे बताया कि मैंने स्वयं चिकित्सको से बात की एवं साथ ही कहा कि यदि लाखो रूपये खर्च करके बालिका की आंखे ठीक होती है तो मैं उसके लिये तैयार हूँ, किन्तु विशेषज्ञ चिकित्सको ने बताया कि बालिका की आंखो की रोशनी अब आना संभव नहीं है।
मारू के प्रयासों ने बदल दी बच्ची की जिंदगी
श्री राठी ने बताया कि इस फुल सी बच्ची भावना के आगे के भविष्य को लेकर वह काफी चिंतित थे, तब उन्होंने दिव्यांगजनों के हितार्थ एवं कल्याणार्थ कार्यरत देश की सर्वश्रेष्ठ संस्था के पुरस्कार से सम्मानित स्नेह संस्थापक पंकज मारू जो कि दिव्यांगो के लिये कार्य करने के क्षेत्र में पुरे भारत में प्रसिद्ध है, से मुलाकात कर बात की। तब उन्होंने बताया कि दृष्टिहीन बच्चो के लिये सबसे बड़ा इंस्टिट्यूट देहरादुन में संचालित होता है। जहां ऐसे बच्चो के रहने, खाने की व्यवस्था के साथ बेहतर भविष्य के लिये अत्याधुनिक तकनीक के माध्यम से शिक्षित भी किया जाता है।
देहरादुन के सर्वश्रेष्ठ संस्थान में बच्ची को मिला प्रवेश
राठी ने बताया कि बच्ची को माता-पिता के साथ मोहनश्री फाउण्डेशन के सहयोग से देहरादुन भेजा गया। किन्तु कोरोना एवं लाकडाउन की वजह से इंस्टिट्यूट बंद था। गत 15 दिन पूर्व स्नेह के संस्थापक एवं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के सर्वाेच्य नीति निर्धारक संस्था केंद्रीय दिव्यांगजन सलाहकार बोर्ड के सदस्य लॉयन मारू द्वारा इस बच्ची को दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के राष्ट्रीय दृष्टिबाधित दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान जो कि देहरादुन में है और 43 एकड में फैला हुआ है, वहां के डायरेक्टर डॉ. हिमांशुदास के सहयोग से भावना का दाखिला वहाँ पर हो गया। आज भावना इस संस्थान में अपने भविष्य को आसान बनाने के लिये प्रशिक्षण ले रही है। उसकी गतिविधियो को देखते हुए लगता है कि उसका आगे का जीवन बेहतर मार्गदर्शन के कारण काफी आसान हो जायेगा।
पिडितों की मदद हेतुं तत्पर
राठी ने बताया कि यदि श्री मारू का मार्गदर्शन व सहयोग प्राप्त नहीं होता तो शायद वह उस बच्ची के भविष्य के लिये कुछ नहीं कर पाते। साथ ही राठी ने कहा कि यदि नगर व नगर के आसपास ऐसा कोई हो जो ऐसी स्थिति से गुजर रहा हो या जिसके माता-पिता गरीबी के कारण समय पर उपचार नहीं करवा पा रहे हो। तो ठीक समय पर उसे मोहनश्री फाउण्डेशन के पास पहुंचाए ताकि गरीबी व लापरवाही की वजह से कोई और बच्चा भावना जैसी स्थिति को प्राप्त नहीं कर सके।
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