नागदा जं.-क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के चलते रेल यात्री हो रहे परेशान, सरकार के निर्णय के बाद भी न तो अनारक्षित टिकिट प्रारंभ हुए और ना ही यात्री गाडियॉं 09802 कोटा-नागदा पैंसेजर अनारक्षित, 09801 नागदा-कोटा आरक्षित

MP NEWS24- कोविड-19 महामारी के दौरान रेल प्रशासन ने यात्रियों को सुविधा देने के नाम पर खुब मोटी कमाई की, बुरे वक्त में नागरिकों से वसुली के बाद सामान्य स्थिति होने के बाद भी सुविधा के नाम पर कोविड-19 के पूर्व की स्थिति को ही रेल प्रशासन बहाल नहीं कर पाया है। ऐसे में यात्रियों से जहॉं सभी प्रतिबंध हटने के बाद भी अत्यधिक यात्रा शुल्क वसुला जा रहा है वहीं रेल मंत्रालय की घोषणा के पॉंच दिन बीत जाने के बाद भी एक्सप्रेस यात्री गाडियों में अनारक्षित टिकिट जारी नहीं किए जा रहे हैं। स्थानिय रेल प्रशासन की मनमानी का इससे बडा उदाहण क्या होगा कि यात्री गाडी संख्या 09802 जो कि कोटा से नागदा चलती है को कोटा रेल मण्डल द्वारा अनारक्षित घोषित कर दिया गया है, वहीं रतलाम रेल मण्डल के स्टेशनों से आज भी उक्त ट्रेन में यात्रा के आरक्षण करवाना आवश्यक है। ऐसे में रेल प्रशासन के इस दौहरे रवैये से यात्रीयों में आक्रोश का माहोल बनता जा रहा है।

न विपक्ष मुखर और ना ही सत्तापक्ष
यात्रीयों से रेल प्रशासन द्वारा की जा रही इस बेतहाशा वसुली को लेकर न तो विपक्ष के नेता मुखर हो रहे हैं और ना ही सत्तापक्ष के नेता इस और ध्यान दे रहे हैं। नेताओं की अनदेखी के चलते क्षेत्र के यात्रीयों को काफी असुविधा हेा रही है। कोविड-19 महामारी के पूर्व दोपहर 3 बजे चलने वाली यात्राी गाडी जो कि वर्षो से नागदा में बन्डे के नाम स जानी जाती थी उसे रेल प्रशासन द्वारा अभी तक प्रारंभ नहीं किया गया है, जबकि जरूरमंद यात्रीयों के लिए यह यात्री गाडी मात्र 30 रूपये इन्दौर तथा इन्दौर से नागदा ले आती थी। ऐसे में गरीबों की सुनने वाला वर्तमान में कोई नहीं बचा है।
कभी 500 रूपये में पुरे महिने यात्रा होती थी अब 500 में मात्र एक दिन जाना हो पाता है
कोविड-19 के पूर्व जहॉं मासीक सीजन टिकिट (एमएसटी) के माध्यम से मात्र 350 से 500 रूपये में इन्दौर से नागदा की यात्रा पुरे माह की जा सकती थी। लेकिन रेल प्रशासन द्वारा महामारी का हवाला देते हुए सीजन टिकिट को बंद कर दिया गया है। जबकि पूर्व में एक्सप्रेस, लोकल यात्री गाडियों आदि में एमएसटी से यात्रा की जा सकती थी। जिससे शहर एवं आसपास के कई नागरिकों का रोजगार तक चलता था, साथ ही कई विद्यार्थी उज्जैन, इन्दौर, रतलाम प्रतिदिन अपडाउन भी किया करते थे। यह सब सुविधा रेल प्रशासन द्वारा छीन ली गई है, जिससे क्षेत्र में बेरोजगारी भी बढी है।
सोश्यल मिडिया पर प्रचार जोरें से, हकीकत में कुछ भी नहीं
सोश्यल मिडिया पर रेल प्रशासन द्वारा कोविड-19 पूर्व की स्थिति बहाल किए जाने की जानकारी सत्तापक्ष से जुडे लोग खुब शेअर कर रहे हैं, लेकिन धरातल पर देखा जाऐ तो न तो यात्री गाडियों को प्रारंभ किया जा रहा है और ना ही एक्सप्रेस, सुपर फास्ट यात्री गाडियों अनारक्षित टिकिट प्रदान की जा रही है। ऐसे में क्षेत्र के नागरिकों को जो यात्रा कभी 100-200 में हुआ करती थी उसके लिए अब 2000 से 2500 रूपये खर्च करना पड रहे हैं। नागरिकों को हो रही असुविधा का सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के नेताओं को भलीभांती भान है, लेकिन न तो विपक्ष आंदोलन करता है और ना ही सत्तापक्ष अधिकारियों पर दबाव बना रहा है।
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सबसे ज्यादा रतलाम मण्डल में हो रही परेशानी
रतलाम मण्डल के अंतर्गत आने वाली यात्री गाडियों में सबसे अधिक परेशानी देखने को मिल रही है। कोटा मण्डल द्वारा जहॉं मेला गाडी को अनारक्षित घोषित कर दिया, लेकिन रतलाम मण्डल अपने यात्रीयों को यह सुविधा नहीं दे रहा है। ऐसे में नागदा शहर के आरक्षण काउन्ट पर मेला गाडी से यात्रा करने वाले यात्री काफी परेशान होते हैं तथा ऐन वक्त पर पहुॅंचने पर उन्हें कई बार तो टिकिट भी नहीं मिल पाते है।

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