नागदा जं.--तेल, दुध, फल, चीनी, कपडे, जुते .... सभी पर महंगाई की मार... जनता बेहाल

MP NEWS24- महंगाई विगत छः माह के उच्चतम स्तर पर पहुॅच गई है। एनएसओ द्वारा जारी आंकडों के मुताबिक तेल, दुध, फल, चीनी, कपडे, जुते, बिजली सब महॅंगे हो गए है। ऐसे में आम जनता को काफी परेशानीयों से जुझना पड रहा है। आलम यह है कि कोरोना महामारी के दौरान ही जबकि बेरोजगारी अपने उच्चतम स्तर पर है तभी महंगाई ने आम जनता की कमर तोड कर रख दी है। वहीं एनएसओ जो कि स्वयं ही सरकारी आंकडों को जारी करती है की रिर्पोट कहीं न कहीं सरकार की आंखे खोलने के लिए काफी है, लेकिन सरकार का इस दिशा में कोई कदम न उठाना गरीबों के लिए पीडा दायक हो सकता है।

बहुत हुई महंगाई की मार....
बहुत हुई महंगाई की मार... अबकी बार ... सरकार के लुभावने नारे से जनता के एक हिस्से को भरमाकर उसके वोट बटोरने के बाद एक पार्टी की अपनी महंगाई तो दुर हो गयी, मगर आम लोगों पर महॅंगी कीमतों का कहर टूट पडा है। पिछले कुछ वर्षो से ही खाने-पीने और बुनियादी जरूरतों की चीजों की महंगाई बेरोकटो बढ रही थी। लेकिन पिछले डेढ वर्षो में कोरोना महामारी के दौरान उछाले गये नारे ’’आपदा में अवसर’’ का लाभ उठाकर उद्योगपतियों, व्यापारियों, जमाखोरों ने दाम बढाने के सारे रिकार्ड तोड दिये हैं।
रोजगार गए... आमदनी घटी ... महंगाई बेरोकटोक बढी....
करोडों लोगों का रोजगार छिन जाने और आमदनी घट जाने के कारण इस महॅंगाई ने देश की तीन-चौथाई से भी अधिक आबादी के सामने जीने का संकट पैदा कर दिया है। खाने-पीने और बुनियादी जरूरतों की चीजों की महंगाई बेरोकटोक बढी है। सब्जीयों से लेकर अनाज, तेल अैर दुध तक के बेहिसाब बढते दामों ने मेहनतकश जनता के साथ-साथ निम्न मध्यमवर्गीय आबादी तक के लिए पेटभर पौष्टिक खाना खा पाना दूभर बना दिया है। पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दामों में लगातार की जारी बेहिसाब बढोतरी ने लोगों की कमर पुरी तरह तोडकर रख दी है। रेल, बस के भाडे, अस्पताल की फीस, दवाएॅं, बिजली, पानी, हर चीज में जैसे आग लगी हुई है।
देश की जानलेवा महॅंगाई उन्हें नहीं दिखाई देती
इतनी बडी आबादी के लिए जीने का संकट पैदा करने वाली महॅंगाई अब अखबारों और टीवी चैनलों की सुर्खियों से बाहर हो चुकी है। गोदी मीडिया लोगों को भरमाने के लिए ऐसी खबरें उछालता रहता है कि पडौसी मुल्क महंगाई में तबाह है लेकिन अपने देश की जानलेवा महॅंगाई उसे दिखायी नहीं देती। दरअसल उच्च मध्य वर्ग और खाते-पीते मध्य वर्ग के उपरी हिस्से की आमदनी में पिछले कुछ समय से लगातार जो बढोतरी हो रही है उसके कारण उन पर इस महॅंगाई का ज्यादा असर नहीं होता है। दूसरे इस वर्ग की आमदनी का एक छोटा सा हिस्सा ही खाने-पीने की चीजों पर खर्च होता है। इसकी आमदनी का बडा हिस्सा मनोरंजन, कपडों कार-बाईक, टीवी ओवन फ्रिज जैसे सामानों आदि पर खर्च होता है। अर्थव्यवसथा का भट्टा बैठने से इस वर्ग के एक हिस्से की भी कमाई कुछ कम तो हुई है लेकिन इतनी नहीं कि उन्हें अपने जरूरी खर्चो में कटौती करनी पडे। इस उनकी बचत और ऐयाशियों पर कुछ असर पडा है।
महॅंगाई ने गरीबों के लिए तो जीना दुभर बना दिया है
लेकिन इस महॅंगाई ने गरीबों के लिए तो जीना दुभर बना दिया है। महॅंगाई ने देश की भारी आबादी के लिए हालात कितने मुश्किल कर दिये है इसका अंदाजा लगाने के लिए बस इस तथ्य को याद कर लेना जरूरी है कि देश की लगभग तीन-चौथाई आबादी प्रति व्यक्ति सिर्फ 30 से 40 रूपये रोजाना पर गुजारा करती है। देश के करीब 50 करोड असंगठित मजदूरों पर महॅंगाई की मार सबसे बुरी तरह पड रही है।

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