नागदा जं.--नागदा में कलेक्टर लिंक कोर्ट की दरकार, सिविल, नपा एवं कॉलोनी से संबंधित कई मामलों की अपील के लिए जाना होता है उज्जैन पूर्व में कलेक्टर की घोषणा के बाद भी नहीं खुली लिंक कोर्ट

MP NEWS24- डेढ लाख से अधिक की जनसंख्या वाला शहर होने के बावजुद तथा नागदा-खाचरौद अनुभाग के लगभग 200 से अधिक गांवों के रहवासियों को न्याय पाने के लिए 50 से 70 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय पर अपने विभिन्न मुद्दों की अपील करने के लिए उज्जैन आना-जाना पड रहा है। नागदा-खाचरौद से जुडे कई मामले वर्तमान में उज्जैन लिंक कोर्ट में विचाराधीन है। ऐसे में 50 किलोमीटर आने-जाने में क्षेत्र के नागरिकों का काफी धन एवं समय व्यतित हो रहा है। ततकालीन कलेक्टर द्वारा नागदा में लिंक न्याय प्रारंभ करने के निर्देश के बाद भी आज तक कार्रवाई नहीं होना विचारणीय प्रश्न है।

कौन से मामले होते हैं प्रभावित
गौरतलब है कि नागदा-खाचरौद अनुभाग में सैकडों गांव जुडे हैं। जिसमें राजस्व संबंधि विभिन्न मामलों की अपील के साथ ही नागदा-खाचरौद नगर पालिका से जुडे मामलों की अपील, लोक सेवा केन्द्रों के निरस्त आवेदनों की अपील, धारा 133 के विभिन्न मुकद्दमें जिसमें अनुविभागीय अधिकारी मजिस्ट्रेट के रूप में सुने जाते हैं उन्हीं में बहुत से नपा से जुडे होते हैं लेकिन नपा का प्रशासक होने के कारण नागरिकों को न्याय नहीं मिल पाता है। पटवारी हल्के से संबंधित, भू राजस्व से संबंधित, ऐसे कई मामले हैं जिन पर अपील आसानी से की जा सकती है, खाद्य विभाग से संबंधित मामले, कॉलोनी सेल, शस्त्र लायसेंस, सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत प्रथम अपील आदि कई मामले हैं जिनकी अपील हेतु क्षेत्र के नागरिकों को उज्जैन आना जाना पडता है।
बॉक्स
नागरिकों ने की मांग

चार वर्ष पहले तत्कालीन जिलाधीश द्वारा नागदा में कलेक्टर लिंक कोर्ट लगाने की घोषणा की थी, लेकिन लालफीताशाही के चलते जनता को अधिकार नहीं मिले इसलिए लिंक कोर्ट जानबुझकर, षडयंत्रपूर्वक नहीं लगाई जा रही है। जबकि नागदा में डेढ लाख की जनसंख्या होने, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय होने एवं खाचरौद तथा अन्य क्षेत्र के लोगों को उज्जैन लगातार दूर रहने एवं उज्जैन अधिकारी वीसी तथा महाकाल मंदिर एवं अन्य प्रशासनिक ड्यूटी पर होने के कारण लोगों के लगातार चक्कर की परेशानी से बचने के लिए न्याय के लिए गुहार नहीं कर पा रहे हैं। इसके कारण से विभिन्न क्षेत्रों में तानाशाही बढता जा रहा है। स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए प्रशासन को तुरंत लिंक कोर्ट की स्िापना के आदेश पर क्रियान्वयन करना चाहिए।
अभय चौपडा, अध्यक्ष नागरिक अधिकार मंच, नागदा
विभिन्न मामलों की अपील जिला कलेक्टर के यहॉं करना होती है, जिसमें अभिभाषकों को भी उपस्थित होना पडता है। नागदा में कलेक्टर लिंक कोर्ट नहीं होने से न्याय पाने में काफी लग जाता है तथा न्याय देर से मिलना न्याय न मिलने के बराबर ही होता है। ऐसे में नागदा में कलेक्टर लिंक कोर्ट प्रारंभ होने से वकीलों एवं पक्षकारों दोनों को सहुलियत होगी।
राजेन्द्र गुर्जर, कोषाघ्यक्ष अभिभाषक संघ, नागदा
नागदा में लिंक कलेक्टर कोर्ट की अत्यंत ही आवश्यकता है। ततकालीन कलेक्टर मनीषसिंह ने नागदा में लिंक कलेक्टर न्यायालय प्रारंभ करने के निर्देश मिटिंग में दिए थे लेकिन उसका क्रियान्वयन आज तक नहीं हो पाया है। शहर के व्यापारियों के विरूद्ध कई बार गलत कार्रवाई भी प्रशासन कर देता है जिसकी अपील जिला कलेक्टर को करना होती है। उज्जैन आने-जाने में असमर्थ होते हैं तथा आने-जाने में व्यवसाय भी प्रभावित होता है तथा न्याय पाने से वंचित हो जाते है। ऐसे में नागदा में लिंक कलेक्टर न्यायालय जल्द से जल्द प्रारंभ होना चाहिए।
मनोज राठी, मुख्य संरक्षक किराना व्यापारी संघ, नागदा
नागदा में स्थित अवैध कॉलोनीयों के संबंध में प्लॉट धारकों को सुनवाई के संबंध में जिला मुख्यालय के चक्कर लगाने पडते हैं। जिससे आम इंसान का धन व समय दोनों बर्बाद होता है। नागदा में कलेक्टर की लिंक कोर्ट प्रारंभ होना चाहिए।
गौतम जैन, ज्युडिशियल एक्टीविट्स

नगर पालिका द्वारा जनहित से जुडे कई मुद्दों पर जनविरोधी प्रस्ताव पारित कर दिए जाते हैं साथ ही अन्य कई मामलों में भी आम नागरिक की सुनवाई नगर पालिका एवं अन्य विभागों में नहीं हो पाती है। नपा के पारित प्रस्तावों के विरूद्ध जिला कलेक्टर को सुनाई का अधिकार होता है। ऐसे में शहर के कई नागरिकों को उज्जैन आना-जाना पडता है, जिससे समय एवं धन की बर्बादी होती है। ऐसे में नागदा शहर में ही कलेक्टर लिंक कोर्ट प्रारंभ होना चाहिए।


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