नागदा जं.--तीन राशन दुकानों की जांच के दौरान दो में पाई गई अनियमितता, बाकी के हालात भी यही राजनीतिक प्रभाव में नागदा की राशन दुकानों पर वर्षो से हो रही कालाबाजारी, उपभोक्ता परेशान

MP NEWS24-जिला कलेक्टर आशीषसिंह द्वारा संपूर्ण जिले की उचित मुल्य दुकानों की जांच के निर्देश देकर गरीब हितग्राहीयों के हित में एक बडा कदम उठाया है। नागदा शहर की 100 प्रतिशत उचित मुल्य की राशन दुकाने राजनीतिक लोगों के कब्जे में हैं, जिसके चलते शहर के पात्र हितग्राहीयों को शासन द्वारा प्रदान किए जाने वाले राशन एवं केरोसीन की वर्षो से कालाबाजारी की जा रही है। आलम यह है कि शहर के ज्यादातर कंट्रोल संचालक अपनी दुकान ही नहीं खोलते हैं तथा जो खोलते भी हैं वह हितग्राहीयों को उनके हक का राशन नहीं देते हैं। ऐसे में लम्बे समय से कालाबाजारीयों के खिलाफ आवाज उठ रही थी। रविवार को कलेक्टर के निर्देश पर जिला आपूर्ति नियंत्रक द्वारा तीन दुकानों की जांच के दौरान दो दुकानों में अनियमितताऐं पाई गई है जिनके विरूद्ध प्रकरण भी दर्ज किया गया है।

सर्वोदय एवं सौरभ उपभोक्ता भण्डार के संचालक पर प्रकरण दर्ज
मामले में प्राप्त जानकारी के अनुसार कलेक्टर आशीषसिंह के निर्देश अनुसार जिला आपूर्ति नियंत्रक द्वारा नागदा में संचालित शासकीय उचित मूल्य की दुकान सौरभ प्राथमिक उपभोक्ता भंडार नागदा, सर्वाेदय प्राथमिक उपभोक्ता भंडार नागदा तथा वर्द्धमान प्राथमिक उपभोक्ता भंडार नागदा की जांच की गई। सर्वाेदय प्राथमिक उपभोक्ता भंडार के 4 उपभोक्ताओ द्वारा बताया गया की विक्रेता द्वारा उन्हें हकदारी से कम मात्रा में सामग्री दी जाती है, वहीं जांच के समय राशन दुकान बंद होने, विक्रेता को जांच मौके पर बुलाये जाने पर फोन बंद पाए जाने से दुकान की विस्तृत जांच के लिए ’दुकान को सीलबंद कर प्रकरण निर्मित किया गया। इसी प्रकार सौरभ प्राथमिक भंडार के विक्रेता द्वारा कुछ उपभोक्ताओं को केरोसिन वितरण नही करने, राशन सामग्री प्राप्त करने पर पीओएस मशीन की रसीद नही दिए जाने के संबंध में प्रकरण निर्मित किया गया।
राशन की कालाबाजारी का अड्डा बन चुका है नागदा
यहॉं यह उल्लेखनिय है कि नागदा शहर में संचालित राशन दुकाने कालाबाजारी का अड्डा बन चुकी है। राजनीतिक दबाव के चलते शहर में संचालित दुकानों पर कभी भी कोई अधिकारी जांच करने नहीं जाते हैं तथा जो अधिकारी जाते भी हैं उन्हें बाद में सत्ता पक्ष के नेताओं द्वारा परेशान किया जाता है। बताया जाता है कि राजनीतिक दबाव के चलते शहर के 50 प्रतिशत हितग्राहीयों को भी उनके हक का राशन नहीं मिल पाता है। आलम यह है की केरोसीन तो डीपो से दुकान तक भी नहीं पहुॅंचता है और उसके पहले ही ड्रम ही कहीं ओर बेच दिया जाता है। स्थिति इतनी विकट है कि गरीब जनता को शासन द्वारा दिया जाने वाला मुफ्त राशन में भी काफी कालाबाजारी की गई तथा कई कालाबाजारी इसमें वारे-न्यारे हो गए।
प्रशासन की कार्रवाई से राशन माफीया में हडकम्प
जिला कलेक्टर द्वारा प्रारंभ की गई इस जांच कार्रवाई के बाद शहर के राशन माफिया में हडकम्प मचा हुआ है। शनिवार की देर शाम को कई राशन दुकान संचालक एकत्रित होकर किसी नेता के निवास पर भी पहुॅंचे थे तथा जांच को रूकवाऐ जाने के प्रयासों में लगे हैं। बताया जाता है कि अधिकारियों पर राजनीतिक दबाव बनाने की रणनीति भी बनाई जा रही है तथा गरीब हितग्राहीयों के राशन को हडपने वाले कंट्रोल माफिया के पक्ष में पार्टी विशेष के लोग अधिकारियों पर दबाव बनाने का प्रयास भी कर रहे है। प्रशासन को सभी दुकानों की जांच करना चाहिए तथा हितग्राहीयों के बयान भी दर्ज करना चाहिए जिससे की अनियमितता सामने आ सके।

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