MP NEWS24- जिला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं पूर्व ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ. संजीव कुमरावत ने हमारे प्रतिनिधि से चर्चा करते हुए कोरोना वायरस के नए वेरिएंट निओकोव के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में निओकोव वेरिएंट के बारे में जो स्टडी प्रकाशित हुई है उससे काफी भ्रम की स्थिति फेल रही है। उन्होंने कहा कि निओकोव की जानकारी रखने के साथ ही अफवाह न फेलाने की बात कही है।डॉ. कुमरावत ने कहा कि निओकोव के बारे में एक आर्टीकल हाल ही में विदेश में प्रकाशित हुआ है जिसमें वुहान के वैज्ञानिकों की एक रिसर्च थी, जिसके बाद अनिश्चितता और चिंता का वातावरण बना। इस आर्टीकल को पढने के बाद वास्तविक स्थिति के लिये सामान्य जानकारी आम भाषा में वह बताना चाहते हैं।
डॉ. कुमरावत ने बताया कि प्रकाशित आर्टीकल में कोई समीक्षा नहीं की गई, जिसका अर्थ है कि जब जब भी किसी मेडिकल जनरल में कोई रिसर्च, स्टडीज या आर्टिकल पब्लिश होता है तो एडीटर उसका एक्सपर्ट ग्रुप से समीखा करवाते है जिसमे एक्सपर्ट्स उस रिसर्च की मेथड, आंकलन, परिणाम और अनुमान की समीक्षा कर उसकी कमजोरी का पता लगाते है। यह आर्टिकल विशेषज्ञों के परीक्षण से नही गुजरा है। उन्होंने बताया कि अभी तक कोरोना वायरस के कई वेरिएंट मिले है जैसे अल्फा, बीटा, डेल्टा, ओमाइक्रोन आदि तो क्या निओकोव भी कोरोना वायरस का नया वेरिएंट है। उन्होंने बताया कि नही... निओकोव कोरोना वायरस का वेरिएंट नही है, इसका कोविड के वायरस सोर्सकोव-2 से कोई सम्बंध नही है। निओकोव नया भी नही है यह मार्स कोव वायरस का एक वेरिएंट है जो अभी प्राप्त जानकारी के अनुसार सिर्फ़ चमगादड़ मे बीमारी फैलाता है। निओकोव के आदमी में संक्रमण का कोई प्रमाण नही है यानि मनुष्य में बीमारी फैलाने की क्षमता नही है। उन्होंने बताया कि मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम। यह एक प्रकार का कोरोना वायरस है जो चमगादड़ में बिमारी फैलाता था, परंतु 2012 एवं 2015 मे यह म्युटेट हो कर ऊंट मे और फिर आदमी मे बीमारी फैलाने लगा। उस समय मध्य एशिया के अरब देशो मे यह बीमारी फैली थी। मनुष्यों में कोविड-19 नामक बिमारी करता है और यह आदमी के शरीर मे प्रवेश करने के लिये एसी-2 नामक दरवाजे का उपयोग करता है। उन्होंने कहा कि वुहान के इस आर्टिकल में ऐसा क्या है जिससे पूरी दुनिया चिंतित हो गयी है। वुहान के इस आर्टिकल में बताया गया है कि साउथ अफ्रीका के चमगादड़ो मे निओकोव वायरस नेे एसीई-2 नामक दरवाजे के रास्ते के जरिए चमगादड़ो के शरीर मे प्रवेश करने की क्षमता प्राप्त कर ली है। परंतु चिंता की बात यह है कि यदि निओकोव में म्युटेशन हो जाए और यह मनुष्य के शरीर मे एसीई-2 दरवाजे के रास्ते प्रवेश कर ले तो यह मनुष्य के लिये भी संक्रामक हो जायेगा और मनुष्य मे भी बिमारी फैलाने लगेगा। हालांकि इसके लिये वायरस को बहुत म्युटेशन की जरूरत होगी। उन्होंने बताया कि इस संबंध में और अध्ययन किए जाने की आवश्यकता है।
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