MP NEWS24-कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व श्रमिक नेता कैलाश रघुवंशी ने क्षेत्र के उद्योग में कार्यरत श्रम संगठनों के साथ-साथ क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को कटघरे में खडा करते हुए कहा है कि आखिर कब तक उद्योग में कार्यरत ठेका श्रमिकों के नाम पर वह अपनी दुकान चलाते रहेंगे।श्रमिक नेता श्री रघुवंशी ने जारी प्रेस बयान में बताया कि कोई लोकसभा में तो कोई विधानसभा में प्रश्न लगाकर इतिश्री करते रहे हैं। वही केन्द्र एवं राज्य की सरकार प्रबंधन के यहॉं गिरवी रखी हुई है। राज्य शासन का श्रम विभाग आज तक ठेका श्रमिकों की सही संख्या तक नहीं बता सका। ऐसे में उनके हितों की रक्षा आखिर कैसे हो पाऐगी। श्री रधुवंशी ने कहा कि उद्योंगों में कार्यरत ठेका श्रमिकों की वर्तमान में बद से बदतर स्थिति हो चुकी है तथा स्थायी श्रमिकों के कार्यो को भी ठेका श्रमिकों से करवाया जा रहा है जिसका परिणाम विगत दिनों नगर की जनता को भुगतना पडा है। एक नामचिन उद्योग में हुए गैस रिसाव से पुरा शहर दहल गया था।
श्री रधुवंशी ने कहा कि पद स्थापना का एक समझौता ट्रेड यूनियन के नेताओं द्वारा सन् 1967 में किया गया था जिसके बाद विभिन्न खतों में कई पदों की स्थापना हुई थी। समझौते को लागू करने के लिए ततकालीन श्रमिक नेताओं की तकरार भी प्रबंधन से हुई लेकिन वर्तमान में उक्त समझौता किसी भी उद्योग में लागू नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उद्योग में 75 प्रतिशत ठेका श्रमिकों से ऐसा कार्य करवाया जा रहा है जिससे वह अनभिज्ञ होते हैं। उन्होंने प्रबंधन पर आरोप लगाया कि कमिशन के फेर में उलझे अधिकारियों द्वारा शहर को बारूद के ढेर पर बैठा दिया है। जिसके चलते नागदा शहर ही नहीं आस-पास के सैकडों गांवों के रहवासियों के समक्ष भी गहरा संकट उत्पन्न हो गया है।
श्री रघुवंशी ने बताया कि गत माह उद्योग से खतरनाक गेस का रिसाव हो गया था जिसकी चपेट में पुरा शहर आ गया था, अगर जल्द ही रिसाव पर काबू नहीं पाया जाता तो कोई बडी दुर्घटना भी हो सकती थी। श्री रघुवंशी ने कहा कि उद्योग का श्रमिक जनप्रतिनिधियों एवं श्रम संगठनों की और आशा भरी निगाहों से देख रहा है लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। देश के प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक श्रम कानूनों को शिथिल करने में लगे हुए हैं तथा प्रबंधन को सहयोग प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होता तो कोरोनों की आड में हजारों श्रमिकों बाहर का रास्ता दिखा दिया गया तथा उन्हें आज दर-दर की ठोकरें खाना पड रही है। जनप्रतिनिधियों को ठेका श्रमिकों को पुनः कार्य पर रखे जाने हेतु कदम उठाना चाहिए।
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