MP NEWS24-चार वर्ष पूर्व हत्या के मामले में अपर सत्र न्यायालय ने हत्यारे पति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। मामले में पुलिस ने आरोपी बनाए गए मृतका के ससुर और देवर की अपराध में संलिप्तता नहीं मिलने पर दोनों को दोषमुक्त करार दिया है।अपर लोक अभियोजक केशव रघुवंशी ने बताया कि पासलोद निवासी धर्मेंद्र और प्रेमा बाई का विवाह साल 2014 में हुआ था। विवाह के कुछ दिन तक सब कुछ ठीक-ठाक रहा लेकिन धर्मेंद्र बुरी संगत में पड़कर रोजाना शराब पीने लगा। नशे में धुत धर्मेंद्र पत्नी के साथ आए दिन विवाद करता था। धर्मेंद्र की हरकतों से तंग आकर एक दिन प्रेमाबाई दो पुत्रियों को लेकर अपने मायके जहांगीरपुर चली गई।
इस पर धर्मेंद्र के मामा और नाना ने पति पत्नी के बीच सुलह कराने के लिए कई प्रयास किए। आखिरकार प्रेमा को वापस लेकर पति के पास आ गए थे। इसके करीब एक हफ्ते बाद ही 3 अगस्त 2018 को धर्मेंद्र और प्रेमा का विवाद फिर हो गया। जिसके बाद शाम 4 बजे घर के भीतर ही प्रेमाबाई के शरीर पर केरोसिन डालकर धर्मेंद्र ने आग लगा दी। आग में बुरी तरह से जल चुकी प्रेमाबाई को उपचार के लिए उज्जैन अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन 3 दिन बाद ही 6 अगस्त को प्रेमा ने दम तोड़ दिया।
शुक्रवार को अपर सत्र न्यायाधीश अभिषेक सक्सेना ने मामले में फैसला सुनाते हुए प्रेमाबाई की हत्या के आरोप में धारा 302 में धर्मेंद्र को आजीवन कारावास व 200 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। मृतका के देवर दिनेश और ससुर गोविंद के अपराध में शामिल ना होने पर दोनों को दोषमुक्त करार दिया गया है।
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