नागदा जं.--अमृत योजना के अमृत से अभी तक महरूम है नागदा के रहवासी, सात वर्षो में नहीं हुआ कोई कार्य

MP NEWS24-क्षेत्र के राजनेताओं एवं वर्तमान में बडे-बडे ओहदों पर बैठे शहर के गणमान्यों ने कुछ वर्ष पूर्व नागदा शहर को अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) के तहत चयनित होने पर खुब अपने स्वागत, सत्कार एवं नागरिक अभिनन्दन तक करवाऐ थे। लेकिन वर्ष 2015 में प्रारंभ की गई इस योजना में जिसमें एक लाख से अधिक की आबादी वाले शहरों में पेयजल, स्वीरेज, सौंदर्यीकरण, बच्चों के खेलने के पार्क आदि बनाने की योजना सम्मिलित थी के तहत एक भी कार्य अपने अंजाम तक नहीं पहुॅंच पाया है। अब इसे योजना के प्रति नेताओं की अनदेखी कहें या अधिकारियों की मनमानी। केन्द्र सरकार जहॉं योजना को मुर्तरूप लाने के लिए करोडों रूपये का बजट प्रदेश सरकार को भेजती रही, लेकिन क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों द्वारा योजना को अमली जामा पहनाने में सही एवं वास्तविक पहल नहीं किए जाने से नागरिकों को इसका लाभ 7 वर्षो बाद भी नहीं मिल सका है। जबकि योजना का मुख्य उद्देश्य ही शहरों को स्मार्ट सीटी बनाना था।

पोर्टल पर नाम, राशि एक भी नहीं
अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन अमृत योजना के तहत बनाऐ गए केन्द्र सरकार के वेब पोर्टल का अवलोकन करने पर जो सच सामने आया है वह काफी निराशाजनक है। पोर्टल पर अमृत योजना के तहत नागदा शहर का नाम तो आता है लेकिन कितनी राशि एवं कौन-कौन सी योजनाऐं शहर में स्वीकृत हुई इसकी कोई जानकारी पोर्टल पर उपलब्ध नहीं है। ऐसे में इस बात का सहज ही पता लगता है कि जब राशि की स्वीकृति ही नहीं हुई तो धरातल पर कार्य भी कैसे होंगे। ऐसे में एक महत्वपूर्ण योजना जो की लालफीताशाही एवं श्रेय की राजनीति की भेंट चढकर रह गई है।
क्या-क्या होना था योजना के तहत
अमृत योजना के तहत जिन कार्यो को प्रमुखता से किया जाना था उनमें सबसे महत्वपूर्ण कार्य था प्रत्येक घर में जलापूर्ति। जबकि वर्तमान में शहर की हालत यह है कि दो दिन क्षेत्र में संचालित नलकुपों को बंद कर दिया गया तो पुरे शहर में पेयजल के लिए हाहाकार मच गया। शहर में डाली गई नीले पाईप वाली लाईनें संभवतः अमृत योजना के तहत ही आती हैं अथवा यह जल आवर्धन योजना का हिस्सा हैं। इसका खुलासा नपा के अधिकारी ही कर सकते हैं। अधिकारियों से चर्चा करने पर वह अमृत योजना के तहत किए गए कार्यो के सवालों के जवाब देने की स्थिति में दिखाई नहीं दिए। दुसरा प्रमुख कार्य अमृत योजना के तहत जो बताया गया है उसमें सीवरेज सुविधाएं और सेप्टेज प्रबंधन प्रमुख है। लगभग दो वर्ष पूर्व सीवरेज की योजना को लेकर एक दल नागदा आया जरूर था जिसने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से भी मुलाकात की थी। लेकिन बाद में प्रदेश में बदले हालातों के बाद यह योजना भी कागजों में ही दबी हुई है। इसी प्रकार बाढ़ को कम करने के लिए वर्षा जल नाले, पैदल मार्ग, गैर-मोटरीकृत और सार्वजनिक परिवहन सुविधाएं, पार्किंग स्थल, और विशेषतः बच्चों के लिए हरित स्थलों और पार्कों और मनोरंजन केन्द्रों का निर्माण और उन्नयन करके शहरों की ंभव्यता बढ़ाना अमृत योजना के प्रमुख कार्यो में आते है। लेकिन शहर में विगत 7 वर्षो में ऐसे कोई कार्य हुए हो ऐसा दिखाई तो नहीं देता है।
क्या है योजना के उद्देश्य
अमृत योजना के तहत शासन ने कुछ उद्देश्य निर्धारित किए थे जिनमें यह सुनिश्चित करना था कि प्रत्येक परिवार को निश्चित जलापूर्ति और सीवरेज कनैक्शनन सहित नल सुलभ हो, हरित क्षेत्र और सुव्यकवस्थित खुले मैदान (अर्थात पार्क) विकसित करके शहरों की भव्यहता में वृद्धि करना और गैर-मोटरीकृत परिवहन (अर्थात पैदल चलना और साईकिल चलाना) के लिए सुविधाओं के निर्माण अथवा सार्वजनिक परिवहन को अपनाकर प्रदूषण को कम करना। ये सभी परिणाम नागरिकों विशेषतया महिलाओं के लिए महत्ता रखते हैं और शहरी विकास मंत्रालय द्वारा सेवा स्तरीय बैंचमार्क (एसएलबी) के रूप में संकेतक और मानक निर्धारित किए गए हैं। ऐसे कार्यो के मुर्तरूप लेने से शहर का कायाकल्प हो सकता था। लेकिन क्षेत्र योजना राजनीति एवं लालफीताशाही की भेंट चढ गई।
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केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश को दी गई राशि
केन्द्र सरकार द्वारा मध्यप्रदेश को अमृत योजना के क्रियान्वयान के लिए अभी तक करोडों रूपयों की राशि प्रदान की गई है। लेकिन नागदा शहर को इस राशि से कोई बडा लाभ नहीं मिल सका। केन्द्र द्वारा 20 नवम्बर 2015 को 134.41 करोड की राशि प्रदान की गई। जबकि प्रदेश सरकार को योजना के तहत इस वर्ष में 672 करोड खर्च करना थे। इसी प्रकार 26 जून 2016 को 172.56 करोड की राशि प्रदान की गई। इस वर्ष प्रदेश सरकार को 862.80 करोड खर्च करना थे। 28 अप्रैल 2017 को 211.61 करोड की राशि केन्द्र ने प्रदान की, जबकि इस वर्ष राज्य सरकार को 1058 करोड की राशि योजना पर खर्च करना थी। इसी प्रकार वर्ष 2019, 2020, 2021 में सत्ता परिवर्तन के दौरान कितनी राशि मिली इसकी जानकारी उपलबध् नहीं हो पाई है। ऐसे में करोडों की राशि मिलने के बाद भी उसका सदुपयोग क्षेत्र में नहीं हो पाया।

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